Tuesday, December 1, 2015

महाराज भुरीवालों के वट्टे


बन्दीछोड़ गरीब दास साहिब जी अपनी वाणी में फरमाते है कि:
गरीब, आजिज मेरे आसरे, मैं आजीज के पास । 
          गैल गैल लाग्या फिरुँ, जब लग धरनि आकाश ।। 
      परमात्मा सदैव अपने भक्तो की रक्षा करता है । हमे सदैव ही परमात्मा की भक्ति में लीन रहना चहिये, तभी मनुष्य का उद्धार हो सकता है ।
                            एक बार की बात है कि चौदा ग्राम पंजाब में श्रीराम नामक एक व्यक्ति रहता था । वह सतगुरु

Saturday, October 17, 2015

सतगुरु भुरीवालों की गुरु गद्दी परम्परा (गरीबदासी)



सतगुरु ब्रह्मसागर भुरीवाले जी >स्वामी लालदास जी >स्वामी ब्रह्मानन्द जी >स्वामी चेतनानन्द जी वेदान्ताचार्य
गत शताब्दी में पंजाब के जन मानस को जाग्रत करने के लिए और सतगुरु गरीबदास जी का संदेश जन-जन तक पहुँचने के लिए गरीबदास जी का तदरूप फिर से अवतरित हुआ | इस रूप  को “श्री ब्रह्मसागर जी भूरीवाले”

Sunday, August 16, 2015

Emperor Muhammed Shah Invites Garib Das Ji

                          After the death of Bahadur Shah in 1712, it is said, "no member of the house of Timure remained in india, who was fit to take the helm of the ship of the State, which soon drifted on to the rocks. The degraded wretches that polluted the throne of Akbar deserve only a passing notice, the rest of our history is filled with the tragedy of disruption of the splendid edifice reared and fostered by the great Mughals". Farrukhsiyar was deposed, imprisoned, blinded and ultimately killed in an ignominious manner in April, 1719.

Friday, June 26, 2015

तेजपुंज के तख़्त पर सतगुरुदेव जी



बन्दीछोड़ गरीब दास साहिब जी अपनी वाणी में फरमाते है कि :
            उत्तम कुल कर्तार देद्वादश भूषण संग ।
                          रूप द्रव्य दे दया करिज्ञान भजन सत्संग ।।                                      हे प्रभू! आप मुझे अच्छा भक्तिमय कुल देंसाथ में अपना द्वादश नाम रूपी भुषण दें । आप मुझ पर दया करके सुंदर रूप़राम नाम का धऩअध्यात्मिक ज्ञान परमेश्वर का भजन और संतों का सतसंग देने की कृपा करें।

Saturday, April 11, 2015

अन्तर्यामी सतगुरु मेरा


                                                            एक बार की बात है कि रामगोपाल नाम का एक व्यक्ति सतगुरु ब्रह्मसागर जी महाराज  भुरीवालो का सेवक था | रामगोपाल की सतगुरु भुरीवालों के चरणों में पूर्ण निष्ठा थी | रामगोपाल निरंतर सतगुरु जी के दर्शन करने जाया करता था | एक बार की बात है कि सतगुरु जी चौदां वाली कुटिया में ठहरे हुए थे | रामगोपाल को जब इस बात का पता चला तब वह सतगुरु जी के दर्शन करने के लिए अपने एक और साथी को लेकर चौदां के लिये निकल पड़ा | जब रामगोपाल व उसका साथी कुटिया में पहुंचे तब सतगुरु भुरीवालों जी थड़े पर बैठे थे | रामगोपाल ने सतगुरु जी के दर्शन किये और दण्डवत प्रणाम किया, जब रामगोपाल प्रणाम करके उठा तब सतगुरु जी ने कहा की “रामगोपाल ! दिल्ली कब जायेगा?” | 

Monday, February 16, 2015

हाजर नाजर साहिब मेरा

                                               बन्दीछोड़ गरीब दास साहिब जी की स्मृति में छतरी साहिब मंदिर छुड़ानी धाम में प्रतिवर्ष ३-३ दिनों के ३ भव्य मेलो का आयोजन होता है | वैसाख शु० त्रयोदशी से पूर्णिमा तक (अवतार दिवस) | भादो अमावश्या से शु० दिवितीया तक (निर्वाण दिवस) | फाल्गुन शु० दशमी से द्वादशी तक (किरपा पर्व) | फाल्गुन मेंले का समय था | श्री सतगुरु ब्रह्म सागर जी महाराज  भुरीवालो की प्रेरणा से पंडित विशुद्धानन्द जी ने सत्यपुरुष धाम श्री छुड़ानी धाम में बन्दीछोड़ गरीब दास साहिब जी की संगमरमर की बड़ी ही सुन्दर प्रतिमा बनवाई | पंडित विशुद्धानन्द जी बड़े विद्वान और तपस्वी महापुरुष थे | सतगुरु ब्रह्म सागर जी महाराज  भुरीवालो ने अपनी मौजूदगी में पूरे विधि-विधान से प्रतिमा की पूजा व प्राण प्रतिष्ठा करवाई | फाल्गुन मेंले का समय था |

Thursday, January 8, 2015

गरीब दास साहिब जी द्वारा एक पंडित का गर्व हरण

                                           
                                    गरीब ऐसा अविगत राम है, अगम अगोचर नूर |
                                                      सुनं सनेही आदि है, सकल लोक भरपूर ||          
                                                   जब गरीब दास साहिब जी की विवाह की उम्र हुई तब पिता जी श्री बलराम जी व माता रानी जी ने एक सुयोग्य कन्या मोहिनी देवी सुपुत्री श्री नादर सिंह दहिया गाँव बरोना के साथ विवाह सम्पन करा दिया था | बरोना गाँव श्री छुड़ानी धाम से ३० मील कि दुरी पर रोहतक-सोनीपत वाली सड़क पर है| एक बार की बात हैं महाराज जी बरोणा ग्राम गए हुए थे | बहुत से लोग आपके पास बैठे हुए थे| और तरह तरह की चर्चा कर रहे थे | तभी उस ग्राम का एक विद्वान् पंडित वँहा आया और वँहा आकर उन लोगो से पूछा कि “जो ये लड़का (गरीब दास साहिब जी) जो पलंग पर बैठा हुआ हैं कोन हैं?”