Saturday, June 17, 2017

पुजारी की पीड़ा दूर की

 बन्दीछोड़ आचार्य श्री गरीबदास जी ने अपने वाणी ग्रंथ में पारख के अंग मे गुरूदेव  कबीर साहिब जी की जीवन लीला संक्षेप में वर्णन की है। कबीर साहिब जी के समय मे भारत में मुगल साम्राज्य था। यहां का बादशाह सिकन्दर लोदी था, जो इस्लाम धर्म का कट्टर समर्थक था परन्तु श्री कबीर साहिब जी की महिमा देखकर इनका पक्का अनुयायी बन चुका था। अपने मन का भ्रम दूर करने के लिए सिकन्दर लोदी ने 52 बार श्री कबीर साहिब जी की परख (परीक्षा) की, अंत में हारकर उसे महाराज जी का लोहा मानना ही पड़ा। एक बार श्री कबीर साहिब जी ने राजा सिकन्दर को एक कौतुक दिखाया:-

Friday, June 9, 2017

कबीर जी का जीवन परिचय




कबीर जी का जीवन परिचय

सतगुरु बन्दिछोड़ कबीर साहिब जी का अवतरण ऐसे समय में हुआ, जब भारतीय समाज और धर्म का स्वरुप अधंकारमय हो रहा था। भारत की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक अवस्था बहुत ही विकट हो गयी थी। जनता एक तरफ मुसलमान शासकों की धर्मांधता से त्राहि- त्राहि कर रही थी और दूसरी तरफ हिंदूओं के कर्मकांडों, विधानों एवं पाखंडों से धर्म का ह्रास हो रहा था। भक्ति- भावनाओं का सम्यक प्रचार नहीं हो रहा था। सिद्धों के पाखंडपूर्ण वचन, समाज में वासना को आश्रय  दे रहे थे।