Monday, December 18, 2017

सतगुरु गरीबदास जी का स्वरुप वर्णन



सतगुरु गरीबदास जी का स्वरुप वर्णन

सतगुरु गरीबदास जी के ज्येष्ठ पुत्र श्री स्वामी जैतराम जी ने अपनी आँखों देखा सतगुरु जी के स्वरुप का वर्णन अपनी वाणी में किया है |

अब गरीबदास सतगुरु को पाऊं, ताके चिन्ह सहन समझाऊं |
मध्य स्वरुप सलौना भाखों, नख शिख साज सकल ही आखों ||
लघु दीर्घ से न्यारा रूपं, मध्य भाव है अंग अनूपं |
सजन सलौना सतगुरु मेरा, या भव आये करन निबेरा ||
बानी उचरी बहु प्रकारा, ज्ञान ध्यान की चाले धारा |
जैसा पात्र तैसा दाना, संसय नासक बानी प्रगटाना ||
नाद गुंजारा शब्द उचारा, किन जन विरले किया विचारा |
बानी बहु प्रकार कहावे, बानी को कोई खोजी पावै ||
खोजि खोज करे मनमाना, बानी खोजे अकल अमाना |
बानी मेरे सतगुरु भाखी, जाकी विरले जाने झांखी ||