Saturday, August 9, 2014

भाई मलूका देख “तेरी ऊँगली में तारा”

ऊंचे कुल में नाश होत है़, नीचा ही कुल दीजै ।
 तपिया कूं तो दशर्न नाहीं, लोदी नालि पतीजै ।।

बात उस समय की हैं जब जगतगुरु बाबा गरीब दास जी महाराज की आयु सिर्फ ५ वर्ष की थी| आचार्य गरीब दास जी अपने मित्रो के साथ खेल रहे थे| जब खेलते-खेलते काफी देर हो गई तब महाराज जी के साथी बालक थक गये और फिर थक-हार कर बैठ गए पर महाराज जी का मन अभी भी और खेलने का था तो महाराज जी कंकरियों द्वारा खेलने लगे| महाराज जी ने कंकरियों से खेलते-खेलते जब “घींची” की चोट चलाई तब वह कंकर तरखानों के मलूका नामक लड़के की छोटी अंगुली में बहुत जोर से जा लगी|