Tuesday, July 1, 2014

मेरी माता का विमान जा रहा हैं


बिना धनि की बंदगी, सुख नही तीनों लोक |
                                     चरण कमल के ध्यान से, गरीब दास संतोष ||

श्री सतगुरु ब्रह्म सागर जी भूरी वालो की श्री छुड़ानी धाम के प्रति अपार श्रद्धा थी | वह ज्यादा से ज्यादा समय श्री छुड़ानी धाम में रहकर श्री छतरी साहिब की सेवा में लगाया करते थे| और हमेशा अपने शिष्यों को कहते थे कि “जो कोई हमारी सेवा करना चाहता है , हमारी खुशी प्राप्त करना चाहता है ,वह श्री छतरी साहिब छुड़ानी धाम की सेवा करे”| श्री महंत गंगा सागर जी बचपन में ही श्री छुड़ानी धाम की गद्दी पर आसीन हुए| बचपन में श्री महंत गंगा सागर जी अपनी आयु के समान बच्चो के साथ खेलते थे| महाराज भुरीवालो का यह नियम था कि जितनी बार भी श्री महंत जी खेलते-खेलते हुए