Monday, October 6, 2014

माता रानी जी को छुड़ानी धाम में गंगा स्नान


शिल संतोष विवेक देक्षमा दया एकतार ।
 भाव भक्ति बैराग दे, नाम निरालम्ब सार ।।

                         हे प्रभू! आप मुझे अच्छा नैतीक आचरण, संतोष वृत्ति , विवेक बुद्धि दो, सब को क्षमा करने और सब प्राणियों पर दया करने का सामर्थ्य दो, तथा सबके प्रति सम दृष्टि दिजिए । हे प्रभू मुझे प्रेमा भक्ति दो, मुझे वैराग दो जिससे मेरी वृत्ति संसार से हट जाए ।

Saturday, September 6, 2014

आचार्य गरीब दास जी महाराज द्वारा झज्जर के नवाब को उपदेश

                               
                                        जीव को हमेशा परमात्मा के नाम का सुमरीन करते रहना चहिये | मनुष्य तो श्रेष्ठतम जीव हैं | पशु भी प्रभु के नाम का सुमरीन करके इस जन्म-मरण के बंधन से छुटकारा पा जाते हैं | इस प्रसंग में गरीब दास जी महाराज गज और ग्राह (हाथी और मगरमच्छ) का उदहारण देते हुए “राग बिलावल” में फरमाते हैं कि :

अर्ध नाम का पटतरा, सुनियों रे भाई |
गज ग्राह पशुआ तिरै, सुमरो तांई ||

Saturday, August 9, 2014

भाई मलूका देख “तेरी ऊँगली में तारा”

ऊंचे कुल में नाश होत है़, नीचा ही कुल दीजै ।
 तपिया कूं तो दशर्न नाहीं, लोदी नालि पतीजै ।।

बात उस समय की हैं जब जगतगुरु बाबा गरीब दास जी महाराज की आयु सिर्फ ५ वर्ष की थी| आचार्य गरीब दास जी अपने मित्रो के साथ खेल रहे थे| जब खेलते-खेलते काफी देर हो गई तब महाराज जी के साथी बालक थक गये और फिर थक-हार कर बैठ गए पर महाराज जी का मन अभी भी और खेलने का था तो महाराज जी कंकरियों द्वारा खेलने लगे| महाराज जी ने कंकरियों से खेलते-खेलते जब “घींची” की चोट चलाई तब वह कंकर तरखानों के मलूका नामक लड़के की छोटी अंगुली में बहुत जोर से जा लगी|

Tuesday, July 1, 2014

मेरी माता का विमान जा रहा हैं


बिना धनि की बंदगी, सुख नही तीनों लोक |
                                     चरण कमल के ध्यान से, गरीब दास संतोष ||

श्री सतगुरु ब्रह्म सागर जी भूरी वालो की श्री छुड़ानी धाम के प्रति अपार श्रद्धा थी | वह ज्यादा से ज्यादा समय श्री छुड़ानी धाम में रहकर श्री छतरी साहिब की सेवा में लगाया करते थे| और हमेशा अपने शिष्यों को कहते थे कि “जो कोई हमारी सेवा करना चाहता है , हमारी खुशी प्राप्त करना चाहता है ,वह श्री छतरी साहिब छुड़ानी धाम की सेवा करे”| श्री महंत गंगा सागर जी बचपन में ही श्री छुड़ानी धाम की गद्दी पर आसीन हुए| बचपन में श्री महंत गंगा सागर जी अपनी आयु के समान बच्चो के साथ खेलते थे| महाराज भुरीवालो का यह नियम था कि जितनी बार भी श्री महंत जी खेलते-खेलते हुए

Sunday, June 8, 2014

रामराय जी का आचार्य गरीब दास जी महाराज की शरण में आना

तेरी क्या बुनियाद है, जीव जन्म धर लेत ।
गरीबदास हरी नाम बिन, खाली परसी खेत ।।
एक बार एक महापुरुष जो की गरीब दास जी महाराज जी के शिष्य थे घूमते-२ बासियर ग्राम में आ पहुंचे यह ग्राम पंजाब में सुनाम शहर के पास हैवहाँ जाकर वह साधु एक तालाब के पास बैठ गएसंध्या का समय था, रात गुजरी सुबह हुईउस महापुरुष ने स्नान आदि किया और बह्रम महूर्त में बह्रम वेदी का पाठ करने लगाऔर बाद में कुछ शब्द “राग बिलावल” व “राग आसावरी” से भी गायेइसी समय उस ग्राम का प्रधान तलाब पर स्नान करने आया हुआ थामहाराज की वाणी सुनकर प्रधान का मन भी उस महापुरुष की तरफ खींचा चला गया प्रधान ने बैठ कर पाठ सुना और  जब महापुरुष ने पाठ पूरा किया तो प्रधान ने पूछा कि “स्वामी जी आपने यह अमृतमई वाणी  कंहाँ से प्राप्त की ? क्या यह आपके आपने अनुभव कि है”

Saturday, May 24, 2014

कबीर दास जी महाराज का छुड़ानी धाम में प्रकट होना


अलल पंख अनुराग है, सुन्न मण्डल रहे थीर |

दास गरीब उधारिया, सतगुरु मिले कबीर ||

                                                                                                                                          अनंता-अनन्त अखिल ब्रह्मंड नायक ज्योत सत्पुरुष सतगुरु श्री.श्री.१००८ गरीब दास जी महाराज ने श्री छुड़ानी धाम जिला झज्जर तहसील बहादुरगढ़ हरियाणा में अवतार लिया| जब आचार्य गरीब दास जी महाराज १० वर्ष की आयु के थे तब उनको परमपिता परमेश्वर सत्पुरुष सतगुरु कबीर साहिब जी महाराज ने दर्शन दिए थे| बात  वि०सं० १७८४ फाल्गुन शु० दवाद्शी की है जब रोजाना की तरह आचार्य गरीब दास जी महाराज गायें चराने खेतो में गए हुए थे| तब वह गायो को अपने और साथियों को सोप कर ध्यान लगा कर एकांत में बैठ गए|

Monday, May 19, 2014

भक्त निर्मल दास की दिव्य दृष्टि खुलना


                                                                  गरीब काया माया खंड है, खंड राज और पाट |
             अमर नाम निज बंदगी, सतगुरु से भई साट ||
                                      एक बार की बात है कि आचार्य श्री.श्री १००८ गरीब दास जी महाराज बाहर पिली जोहड़ी के खेत में बैठे ज्वार का गन्ना चुस रहे थे उसी वक्त वंही पर उनका एक भक्त श्री निर्मल दास बैठा हुआ था वह आचार्य श्री.श्री १००८ गरीब दास जी महाराज के द्वारा चुसे हुए गन्ने की झूठन को उठा कर चूस रहा था |तभी उस भाग्यवान महापुरुष(भक्त) की दिव्य दृष्टि खुल गयी

Saturday, May 17, 2014

सतगुरु भूरीवाले जी महाराज की लीला

तुम साहिब तुम संत हौतुम सतगुरु तुम हंस |
 गरीबदास तुम रूप बिन, और न दूजा अंस ||

एक समय की बात हैं सतगुरु भूरीवाले जी महाराज छुड़ानी धाम में गरीब दास जी महाराज के दरबार की सेवा करवा रहे थे | तभी छुड़ानी धाम का एक आदमी (भक्त मोजीराम जो की माता रानी के पिता श्री.शिवलाल जी के ही परिवार से था) सतगुरु भूरीवाले जी महाराज के पास आया

Sunday, March 2, 2014

श्री छुड़ानी धाम का मेला


                   गरीब धन जननी धन भूमि धन, धन नगरी धन देश I
                        धन करनी धन कुल धन, जंहाँ साधू प्रवेश II





              भारत की पवित्र भूमि प्राचीन काल से ही ऋषि मुनियों व अवतारों के लिए प्रसिद्ध हैं जब संसार में लोग धर्म का साथ छोड़ रहे थे और अधर्म को अपना रहे थे जब धरती पापियों के अत्याचार से कांप रही थी तब सन १७१७ में अनंता-अनन्त अखिल ब्रह्मंड नायक ज्योत सत्पुरुष सतगुरु कबीर दास जी महाराज ने  आचार्य श्री.श्री.१००८ गरीब दास जी महाराज के रूप में श्री छुड़ानी धाम जिला झज्जर तहसील बहादुरगढ़ हरियाणा में अवतार लिया I




Tuesday, February 18, 2014

श्री छुडानी धाम की गाथा

श्री छुड़ानी धाम प्राचीन काल से ही बड़ा पवित्र स्थल रहा है यँहा सत्पुरुष सतगुरु कबीर साहिब जी महाराज ने  श्री.श्री.१००८ आचार्य गरीब दास जी महाराज के रूप में जन कल्याण के लिए अवतार लिया था पर यह भूमि उससे पहले भी बहुत उतम थी I