सतगुरु ब्रह्मसागर भुरीवाले जी >स्वामी लालदास जी >स्वामी ब्रह्मानन्द जी >स्वामी चेतनानन्द जी वेदान्ताचार्य
गत शताब्दी में पंजाब के जन मानस को जाग्रत करने के लिए और सतगुरु गरीबदास जी का संदेश जन-जन तक पहुँचने के लिए गरीबदास जी का तदरूप फिर से अवतरित हुआ | इस रूप को “श्री ब्रह्मसागर जी भूरीवाले”
के नाम से गरीबदासीय सम्प्रदाय में सभी प्रेमी जानते है और बहुत से सज्जन अभी मोजूद है, जिन्होंने इस
श्री ब्रह्मसागर जी भूरीवाले |
पावन रूप के दर्शन व संगत की है | महाराज ब्रह्मसागर जी भूरीवालो का जन्म विक्रमी संमत १९१९ को भादों की कृष्ण पक्ष की अष्टमी वाले दिन पिता श्री बीरुरम के घर माता श्रीमती भोली देवी की सुभागी कोख से पंजाब के जिला रोपड़ की तहसील श्री आनंदपुर साहिब तहसील का एक छोटा सा गाँव रामपुर हुआ | श्री सतगुरु ब्रह्मसागर जी महाराज भूरीवालो का असली नाम श्री गंगाराम जी था | स्वामी ब्रह्मदास गोदडी वालो के शिष्य स्वामी दयानन्द थे, जिनसे महाराज भूरीवालो ने नाम-दान की दीक्षा प्राप्त की थी | सतगुरु ब्रह्मसागर जी महाराज भूरीवालो ने असंख्य संसारिक लोगो को सत का मार्ग दिखाया व सत के संग के लिए प्रेरित किया | संसारिक लोगो के अलावा अनेकों ही महापुरषों ने आपसे नाम-दान की प्राप्ति की | श्री सतगुरु ब्रह्मसागर जी महाराज भूरीवालो का लक्ष्य गरीबदास जी महाराज की वाणी की महिमा को प्रकट करना था | महाराज जी अपने साथ हमेशा एक भूरी लोई रखते थे | यदि सतगुरु ब्रह्म सागर जी महाराज भूरीवालो को कोई भक्त नए वस्त्र या कोई कपडा भेंट करता तो महाराज जी उसको फाड़ कर अन्य साधुओ में बांट देते थे |
संत स्वामी लालदास भूरीवाले हुए जिनका जन्म विक्रमी सम्न्व्त १९४६ के पोष सुदी दूज को सन १८८९ कि दिसम्बर माह कि २५ तारीख को पिता श्री सरदार काहन सिंह के घर माता श्रीमती प्रताप कौर कि सुभागी कोख से बल घराणे में जिला लुधियाना के एतहासिक नगर रकबा में हुआ | इस नगर में महाराज ब्रह्मसागर जी भूरीवाले प्रायः आया करते थे | जिनके सद उपदेशों से प्रभावित होकर स्वामी लालदास भुरिवालो को वैराग उत्पन हुआ | वैराग का यह रंग दिन प्रति दिन गुढ़ा होता गया | जिला
लुधियाना के गाँव ब्रह्मी में सतगुरु ब्रह्मसागर जी भुरीवालो की कृपा से आप मुंशी सिंह से स्वामी लाल दास बने |
स्वामी लालदास जी भूरीवाले |
गरीबदासी सम्प्रदाय में महाराज भुरीवालों की गुरु गद्दी के तीसरे गुरु के रूप में और स्वामी लालदास जी महाराज के
तत्कालीन पंजाब के मुख्यमंत्रियों के साथ स्वामी ब्रह्मानन्द जी |
स्वामी ब्रह्मानन्द जी भूरीवाले |
जनपद नैनीताल में बहुत बड़ा कृषि फार्म हाउस स्थापित किया और पंजाब से बहुत परिवारों को यंहा लाकर बसाया । आपका घर का नाम श्री गिरधारी लाल था ।गृहस्थ जीवन में भी आप का समाज में सत्कार तथा सामाजिक रुतबा था | सैकडो एकड जमीन के मालिक तथा अच्छा समाजिक रुतबा होने के बावजूद भी सरदार गिरधारी सिंह की आंतरिक भावना कुछ और प्राप्त करने की जाग उठी | 1962 के जून महीने की बात है, राजाओ जैसे जन्दगी व्यतीत करते हुये आप स्वामी लालदास जी महाराज की कृपा व आशीर्वाद से उत्तर प्रदेश जिला बुलन्दशहर कस्बा जहांगीराबाद में सरदार गिरधारी लाल से स्वामी ब्रह्मानंद जी महाराज भूरीवाले बन गये । आपने अपने गुरु के बताये हुए मार्ग पर चलते हुये अनेक स्थानों पर मंदिर विधालय गौशालाओं और अस्पताल बनवाये । इसी बीच इस देश के उच्च पदों पर विराजमान पदाधिकारियों व नेताओ की सहायता
Education Trust |
स्वामी ब्रह्मानंद जी महाराज लोगो में आध्यात्मिक ज्ञान बाटते हुये व शिक्षा का प्रसार करते हुये 1 मई 2002 को
स्वामी ब्रह्मानन्द जी का पार्थिव शरीर |
स्वामी ब्रह्मानन्द जी के पार्थिव शरीर को जल समाधि |
हुकमनामा
सर्वोच्च गरीबदासीय पीठ, छतरी साहिब, छुडानी धाम, जिला झज्जर (हरियाणा) की ओर से छतरी साहिब द्वारा नियंत्रित व समर्थित गरीबदासीय पंथ के सभी भक्तो एवं महाराज भुरीवालों की संगत के लिए हुकमनामा जारी किया जाता है कि स्वामी चेतनानन्द जी वेदान्ताचार्य ,जो की पूज्यनीय स्वामी ब्रह्मसागर भुरीवालों की पवित्र गद्दी पर आसीन होने वाले चौथे महापुरष (स्वामी भुरीवाले चतुर्थ) है ,उनके प्रति पूर्ण श्रधा रखे और उनके अंदर स्वामी ब्रह्मसागर भूरी वालों कि ज्योति का दर्शन करकें लाभ उठावें। बन्दीछोड़ जगद्गगुरु श्री गरीबदासाचार्य जी महाराज संगतों का सदैव मंगल करें।
निवेदक:
गरीबदासीय शिरोमणि ट्रस्ट, छतरी साहिब, छुडानी धाम, जिला झज्जर (हरियाणा)
सतगुरु ब्रह्मसागर भुरीवाले जी >स्वामी लालदास जी >स्वामी ब्रह्मानन्द जी >स्वामी चेतनानन्द जी वेदान्ताचार्य
स्वामी भुरीवाले चतुर्थ स्वामी चेतनानन्द जी भुरीवाले, जिनका जन्म अंबाला शहर (हरियाणा) में पिता श्री राम
स्वामी चेतनानन्द जी भुरीवाले |
महाराज भुरीवालो के चौथे गद्दीनशीन आचार्य स्वामी चेतना नन्द जी भुरीवालो जी के वास्तविक सहयोग से २ नवम्बर २००७ को गाव कलार से दून में स्थित गाव टिब्बा नंगल के लिए सड़क का निर्माण करवाया गया, जिसका उद्गघाटन माननीय मुख्यमंत्री सरदार प्रकाश
सिंह बदल ने किया, जहाँ उन्होंने महाराज ब्रह्मानंद जी भुरीवालो के लोकहित कार्यों की सराहना करते हुए इस सड़क का नाम श्री सतगुरु ब्रह्मा नन्द जी भुरीवाले मार्ग रखा तथा इसे जल्द ही बलाचौर से बुन्गा साहिब जो की श्री आनंद पुर साहिब के पास है तक बड़ाने का निर्णय लिया |
आप ने कनाडा की संगत के लिए टोरंटो में संत भुरीवाले गरीबदासी ब्रह्म निवास
गरीबदासी आश्रम,ऑस्ट्रेलिया |
गरीबदासी ब्रह्म निवास आश्रम,कनाडा
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भारत की पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल के साथ स्वामी चेतनानन्द जी महाराज
सम्प्रदाय के सामाजिक कार्य के देखते हुए पंजाब सरकार व कनाडा
कनाडा सरकार की ओर से प्रशंसा पत्र
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पंजाब सरकार की ओर से प्रशंसा पत्र |
स्वामी चेतनानन्द जी भुरीवाले ने गुरु महाराज ब्रह्मानन्द जी भुरीवालो के कार्यों को
ओर आगे बडाते हुए साल में चार निशुल्क नेत्र कैंप लगा रहे है जिस में से एक कैंप गाव : झांडिया कला में भी लगवाया जाता है । आज के दिन महाराज भूरीवालों की गद्दी पर आसीन महापुरुष परम पूज्य स्वामी चेतनानन्द जी वेदान्ताचार्य जी द्वारा 15 संस्थाए संचालित है, जो की भारत वर्ष के साथ साथ दूसरे देशों में भी हैं । द्वारा समय समय पर मेडिकल कैम्पो का आयोजन किया जाता है । रक्तदान शिविर में हजारो की संख्या में भक्त जन रक्तदान करते है। समय समय पर सम्प्रदाय की और से कैंसर की जाँच के लिए कैम्प लगाये जाते है। नेत्र जाँच शिविर भी काफी संख्या में लगाये जाते है । और हजारो लोगो की आँखों का निशुल्क ऑपरेशन किया जाता है ।
छुडानी धाम में बेदी स्वामी चेतनानन्द जी महाराज ने 2 करोड़ की लागत से निर्मित सोने व चाँदी की बेदी सर्वोच्च गरीबदासीय पीठ, छतरी साहिब, छुडानी धाम में अर्पित की। |
वर्तमान में स्वामी चेतनानन्द जी वेदान्ताचार्य जी के आदेशानुसार भूरीवाले गरीबदासी सम्प्रदाय की ओर से PGI चंडीगढ़ में प्रतिदिन लंगर सेवा दी जाती है ।
Portal Team ने बानी के प्रचार के लिए ग्रन्थ साहिब जी की वेबसाइट
त्यार की और फिर एंड्राइड प्ले स्टोर पर भी महाराज जी के आशीर्वाद
से बानी उपलब्ध है । इसके साथ साथ महाराज जी की कृपा से
SATSAHIB RADIO भी चलाया जा रहा है । जिस पर हर समय
गरीबदासीय बाणी और हमारी सम्प्रदाय के महान संत महापुरुषो के
प्रवचन चलते है ।
सतगुरु, सतगुरु, सतगुरु जी ||
जै बन्दी छोड़, बन्दी छोड़, बन्दी छोड़ जी ||
तेरो नाम, तेरो नाम, तेरो नाम जी ||
आठो पहर जपिये जी, तेरो नाम जी ||
पूर्व
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