Saturday, October 17, 2015

सतगुरु भुरीवालों की गुरु गद्दी परम्परा (गरीबदासी)



सतगुरु ब्रह्मसागर भुरीवाले जी >स्वामी लालदास जी >स्वामी ब्रह्मानन्द जी >स्वामी चेतनानन्द जी वेदान्ताचार्य
गत शताब्दी में पंजाब के जन मानस को जाग्रत करने के लिए और सतगुरु गरीबदास जी का संदेश जन-जन तक पहुँचने के लिए गरीबदास जी का तदरूप फिर से अवतरित हुआ | इस रूप  को “श्री ब्रह्मसागर जी भूरीवाले”
के नाम से गरीबदासीय सम्प्रदाय में सभी प्रेमी जानते है और बहुत से सज्जन अभी मोजूद है, जिन्होंने इस
श्री ब्रह्मसागर जी भूरीवाले


पावन रूप के दर्शन व संगत की है | महाराज ब्रह्मसागर जी भूरीवालो का जन्म विक्रमी संमत १९१९ को भादों की कृष्ण पक्ष की अष्टमी वाले दिन पिता श्री बीरुरम के घर माता श्रीमती भोली देवी की सुभागी कोख से पंजाब के जिला रोपड़ की तहसील श्री आनंदपुर साहिब तहसील का एक छोटा सा गाँव रामपुर  हुआ | श्री सतगुरु ब्रह्मसागर जी महाराज भूरीवालो का असली नाम श्री गंगाराम जी था | स्वामी ब्रह्मदास गोदडी वालो के शिष्य स्वामी दयानन्द थे, जिनसे महाराज भूरीवालो ने नाम-दान की दीक्षा प्राप्त की थी | सतगुरु ब्रह्मसागर जी महाराज भूरीवालो ने असंख्य संसारिक लोगो को सत का मार्ग दिखाया व सत के संग के लिए प्रेरित किया | संसारिक लोगो के अलावा अनेकों ही महापुरषों ने आपसे नाम-दान की प्राप्ति की | श्री सतगुरु ब्रह्मसागर जी महाराज भूरीवालो का लक्ष्य गरीबदास जी महाराज की वाणी की महिमा को प्रकट करना था | महाराज जी अपने साथ हमेशा एक भूरी लोई रखते थे | यदि सतगुरु ब्रह्म सागर जी महाराज भूरीवालो को कोई भक्त नए वस्त्र या कोई कपडा भेंट करता तो महाराज जी उसको फाड़ कर अन्य साधुओ में बांट देते थे |
                                                                     










                                             संत स्वामी लालदास भूरीवाले हुए जिनका जन्म विक्रमी सम्न्व्त १९४६ के पोष सुदी दूज को सन १८८९ कि दिसम्बर माह कि २५ तारीख को पिता श्री सरदार काहन सिंह के घर माता श्रीमती प्रताप कौर कि सुभागी कोख से बल घराणे में जिला लुधियाना के एतहासिक नगर रकबा में हुआ | इस नगर में महाराज ब्रह्मसागर जी भूरीवाले प्रायः आया करते थे | जिनके सद उपदेशों से प्रभावित होकर स्वामी लालदास भुरिवालो को वैराग उत्पन हुआ | वैराग का यह रंग दिन प्रति दिन गुढ़ा होता गया | जिला
लुधियाना के गाँव ब्रह्मी में सतगुरु ब्रह्मसागर जी भुरीवालो की कृपा से आप मुंशी सिंह से स्वामी लाल दास बने |
स्वामी लालदास जी भूरीवाले
महाराज ब्रह्मसागर भूरी वालों के ब्रह्मलीन होने के पश्चात लुधियाना की कूटिया में धर्म का ऐसा प्रचार प्रसार किया की हजारों लोग नशे आदि त्याग कर प्रभु मार्ग पर चल पड़े | स्वामी लाल दास जी बहुत ही कम बोलते थे तथा शुभ कर्म वाले जीवों को नजरो नजरी निहाल कर देते थे | भाव: स्वामी लाल दास जी आत्मा में रमण किया करते थे | यह परम संत महापुरष १४ अगस्त १९७५ को सावन माह की सुदी दसवी को अपने पंच भौतिक शारीर का त्याग कर के ब्रह्मलीन हो गए | १६ अगस्त १९७५ को आप जी के पार्थिक शरीर को पवित्र गंगा में जल प्रवाह किया गया | आप जी की इच्छा तथा सद्बचनो के अनुसार श्री ब्रह्मानंद जी भूरीवालों ने संगतो का मार्ग दर्शन किया | आपके जन्म उत्सव के उपलक्ष में पोह सुदी दूज को रामसर मोक्ष धाम टप्परियाँ खुर्द (नवाशहर) जेष्ट सुदी दूज को उनकी जन्म भूमि धाम रकबा साहिब (लुधियाना) तथा बरसी समागम हरिद्वार (उत्तराखंड) में सावन सुदी दसवी को श्रधा के साथ मनाए जाते है |  










                             
  गरीबदासी सम्प्रदाय में महाराज भुरीवालों की गुरु गद्दी के तीसरे गुरु के रूप में और स्वामी लालदास जी महाराज के
तत्कालीन पंजाब के मुख्यमंत्रियों के
साथ 
स्वामी ब्रह्मानन्द जी
 स्वामी ब्रह्मानन्द जी भूरीवाले
सुयोग्य शिष्य के रूप में स्वामी ब्रह्मानंद जी महाराज हुये । सन् 1912 में पंजाब प्रांत के जिला होशियारपुर के गाँव चूहड़पुर ब्रह्मपुरी में माता रामदेई की सुभागी कोख से पिताश्री धनीराम जी के घर अवतार लिया । गृहस्थ जीवन में रहते हुए आपने उत्तराखंड के
जनपद नैनीताल में बहुत बड़ा कृषि फार्म हाउस स्थापित किया और पंजाब से बहुत परिवारों को  यंहा लाकर बसाया । आपका घर का नाम श्री गिरधारी लाल था ।गृहस्थ जीवन में भी आप का समाज में सत्कार तथा सामाजिक रुतबा था | सैकडो एकड जमीन के मालिक तथा अच्छा समाजिक रुतबा होने के बावजूद भी सरदार गिरधारी सिंह की आंतरिक भावना कुछ और प्राप्त करने की जाग उठी | 1962 के जून महीने की बात है, राजाओ जैसे जन्दगी व्यतीत करते हुये आप स्वामी लालदास जी महाराज की कृपा व आशीर्वाद से उत्तर प्रदेश जिला बुलन्दशहर कस्बा जहांगीराबाद में सरदार गिरधारी लाल से स्वामी ब्रह्मानंद जी महाराज भूरीवाले बन गये । आपने अपने गुरु के बताये हुए मार्ग पर चलते हुये अनेक स्थानों पर मंदिर विधालय गौशालाओं और अस्पताल बनवाये । इसी बीच इस देश के उच्च पदों पर विराजमान पदाधिकारियों व नेताओ की सहायता
Education Trust
से आम जन को मूल भूत सुविधाये आवश्कताओं (पिने के पानी के लिये ट्यूबल, सड़के, पशुओ के अस्पताल, खेल के लिए स्टेडियम बनवाकर) को पूरा किया । आपने ब्रह्म निवास आश्रम हरिद्वार में सामं के समय चलने वाले अनक्षेत्र का बहुत बढ़िया ढंग से पूर्ण विस्तार किया । आपने अपने संत जीवन मे कभी पैसे को अपने हाथ से नही छुआ । आपने जीवन भर सूती कपडे व कपड़े का ही जूता पहना तथा विरक्त साधुओ वाला ही जीवन व्यतीत किया । आपने अपने 40 वर्षो के धार्मिक जीवन में अभक्ष्य-भक्षण, अपेय पान मादक पदार्थो के विरोध में महाअभियान चलाया, जिसमे लाखों व्यक्तियो को शुद्ध आहार, शुद्ध विचार, शुद्ध व्यवहार की त्रिवेणी में स्नान कराया तथा नाम वाणी के प्रचार से जो धार्मिक ज्ञान बिखेरा वह अपने आप में एक मिसाल है । आपने संत समाज के साथ गौ हत्या के विरोध में आंदोलन में भी भाग  लिया था । पंजाब सहित हिमाचल ,जम्मू कश्मीर ,हरियाणा ,दिल्ली ,राजस्थान ,उत्तरप्रदेश ,उत्तरांचल आदि प्रदेशों में गरीबदासीय वाणी की अलख जगाई धन्य है स्वामी ब्रह्मानन्द जी , धन्य है आप द्वारा किया गया परोपकार गरीबदासीय पंथ एवं भारतवर्ष के नागरिक आपके सदा ॠणी रहेंगे । आप प्रवचन करते हुए बहुत ही सरल शब्दों का प्रयोग करते हुए सत्संग करते थे. आपने गरीबो की भलाई के लिए पंजाब के पिछड़े क्षेत्रो के ज़िला नवांशहर, होशियारपुर, रोपड़, तथा जिला लुधियाना में 5 डिग्री कॉलज जिनमे 3 लड़कियों के है । 3 पब्लिक स्कूलों व कई गऊ शालाओ व एक अस्पताल का निर्माण भी करवाया । पंजाब में एक नवोदय विधालय बनवाने में आपका सहारनीय योगदान रहा है ।
स्वामी ब्रह्मानंद जी महाराज लोगो में आध्यात्मिक ज्ञान बाटते हुये व शिक्षा का प्रसार करते हुये 1 मई 2002 को
स्वामी ब्रह्मानन्द जी का पार्थिव शरीर 
पंजाब प्रान्त के जिला होशियारपुर के ग्राम भवानीपुर के आश्रम में पंच भौतिक शरीर का त्याग करके ज्योति-ज्योत समा गए । आपके पार्थिव शरीर को हरिद्वार में भारी जन समूह की उपस्थिति में 4 मई 2002 को जल समाधि दी गई । इस मोके पर सर्वोच्च गरीबदासीय पीठ, छतरी साहिब, छुडानी धाम के श्रीमहन्त दयासागर जी सहित पंथ के अनेको महापुरुष उपस्थित थे । पूज्यनीय स्वामी ब्रह्मानंद जी महाराज के पार्थिव शरीर को जलसमाधि देने के पश्चात दिनांक 04-05-2002 को सायं 4 बजे ब्रह्म निवास दक्षिणी सप्त सरोवर रोड हरिद्वार में सर्वोच्च गरीबदासीय पीठ, छतरी साहिब, छुडानी धाम के श्रीमहन्त दयासागर जी की अध्यक्षता में शोक सभा एवं एक विशेष सभा का आयोजन किया गया । सभा का संचालन स्वामी ब्रह्मानंद जी महाराज के गुरु भाई स्वामी प्रकाशानंद जी ने किया । पहले 2 मिनट का मोन धारण किया गया ।  ततपश्चात श्रीमहन्त दयासागर जी ने स्वामी ब्रह्मानंद जी महाराज के उत्तराधिकारी के बारे में चर्चा की । वैसे तो स्वामी ब्रह्मानंद जी महाराज ने अपने जीवन काल में ही पंजाब प्रान्त के मेलवाल गाँव में श्रीमहन्त दयासागर जी के श्रीमुख से अपने परम् शिष्य स्वामी चेतनानंद जी वेदांताचार्य को अपना उत्तराधिकारी घोषित करवा दिया था । फिर भी श्रीमहन्त दयासागर जी  ने दिनांक 04-05-2002 की विशेष सभा में स्वामी ब्रह्मानंद जी महाराज के अन्य सभी शिष्यों एवम् संत समाज द्वारा श्रीमहन्त दयासागर जी के द्वारा स्वामी चेतनानन्द जी वेदान्ताचार्य के सम्बंध में सहमति एवं समर्थन व्यक्त
स्वामी ब्रह्मानन्द जी के पार्थिव शरीर को जल समाधि
करवाया । हरिद्वार स्थित महाराज लालदास जी के मंदिर ब्रह्म निवास दक्षिणी गरीबदासीय आश्रम में दिनांक 17-5-2002 को प्रातः 10 बजे श्रीमहन्त दयासागर जी ने स्वामी ब्रह्मानंद जी महाराज की सत्रहवीं के उपलक्ष्य में गरीबदासीय वाणी की पूर्णाहुति की । तत्पश्चात गरीबदासीय पंथ की वरिष्ठ माताश्री ओमवति जी की विशेष उपस्थिति में एवं उनकी आज्ञानुशार श्रीमहन्त दयासागर जी की अध्यक्षता में ब्रह्मलीन स्वामी ब्रह्मानंद जी महाराज का श्रद्धांजलि व उत्तराधिकारी समारोह शुरू हुआ । तत्पश्चात स्वामी ब्रह्मानंद जी महाराज के गुरु भाई स्वामी प्रकाशानंद जी ने सर्वोच्च गरीबदासीय पीठ, छतरी साहिब, छुडानी धाम के श्रीमहन्त दयासागर जी से सविनय निवेदन किया कि सर्वोच्च गरीबदासीय पीठ, छतरी साहिब, छुडानी धाम के पीठाधीश्वर व गरीबदासीय पंथ के प्रमुख होने के नाते आप सर्व प्रथम महाराज भुरीवालों की गद्दी पर स्वामी चेतनानन्द जी को बिठाए और उत्तराधिकारी की चद्दर एवं तिलक प्रदान करे । श्रीमहन्त दयासागर जी  ने उठकर पूज्नीय माताश्री के आसन के सामने बैठे स्वामी चेतनानंद जी को प्रेमपूर्वक हाथ पकड़कर अपने साथ ले जाकर महाराज भुरीवालों की गद्दी पर आसीन किया और चद्दर व तिलक दिया । तत्पश्चात हरिद्वार स्थित अखाड़ों व् आश्रमों के पूज्यनीय महापुरुषो व संचालको ने रस्म सम्पन की । पूज्य वरिष्ठ गरीबदासीय महामंडलेश्वर स्वामी डॉ श्याम सुन्दर दास शास्त्री जी ने आशीर्वाद दिया व मंच संचालन किया । परमपूज्य स्वामी चेतनानन्द जी ने सर्व संगत को विस्वास दिलाया कि वे भी छुड़ानी धाम और पंथ की सेवा में भरपूर योगदान देंगे । इसके पश्चात सर्व संगत व षटदर्शन साधु समाज के लिये विशेष भंडारा एवं दक्षिणा का कार्यक्रम हुआ ।


हुकमनामा 
सर्वोच्च गरीबदासीय पीठ, छतरी साहिब, छुडानी धाम, जिला झज्जर (हरियाणा) की ओर से छतरी साहिब द्वारा नियंत्रित व समर्थित गरीबदासीय पंथ के सभी भक्तो एवं महाराज भुरीवालों की संगत के लिए हुकमनामा जारी किया जाता है कि स्वामी चेतनानन्द जी वेदान्ताचार्य ,जो की पूज्यनीय स्वामी ब्रह्मसागर भुरीवालों की पवित्र गद्दी पर आसीन होने वाले चौथे महापुरष (स्वामी भुरीवाले चतुर्थ) है ,उनके प्रति पूर्ण श्रधा रखे और उनके अंदर स्वामी ब्रह्मसागर भूरी वालों कि ज्योति का दर्शन करकें लाभ उठावें। बन्दीछोड़ जगद्गगुरु श्री गरीबदासाचार्य जी महाराज संगतों का सदैव मंगल करें। 
निवेदक:
गरीबदासीय शिरोमणि ट्रस्ट, छतरी साहिब, छुडानी धाम, जिला झज्जर (हरियाणा)




सतगुरु ब्रह्मसागर भुरीवाले जी >स्वामी लालदास जी >स्वामी ब्रह्मानन्द जी >स्वामी चेतनानन्द जी वेदान्ताचार्य



                                                                                                                 स्वामी भुरीवाले चतुर्थ स्वामी चेतनानन्द जी भुरीवाले, जिनका जन्म अंबाला शहर (हरियाणा) में पिता श्री राम
स्वामी चेतनानन्द जी भुरीवाले
रखा मल चौहान तथा माता श्रीमती मणसो देवी के घर २ अप्रैल १९५७ को हुआ। आपको बचपन में सिर्फ २ वर्ष कि आयु में इनके माता -पिता ने भुरिवाले सम्प्रदाय के द्वितीय गुरु गद्दीनशीन  ब्रह्मज्ञानी संत स्वामी लाल दास भुरीवालो के अर्पण कर दिया था।आपका बचपन का नाम चंद्रशेखर चौहान था ।स्वामी लाल दास भुरिवालो कि इच्छानुसार आपका लालन पालन आपके गाव : झांडिया कला (झांडिया  माजरा ) जिला: रोपड़ ,पंजाब (भारत) में किया तथा दसवी तक की शिक्षा डी.ए.वी स्कुल ,तखतगढ , जिला: रोपड़ में परिवार द्वारा ही कराई गई ।  उच्चशिक्षा तथा वेद-शास्त्रों की पड़ाई करने हेतु काशी में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय बनारस में दाखिला दिलाया । जहां पर आपने सन १९८४ से १९९२ तक वेदांत शास्त्री तथा आचार्य की डिग्री प्राप्त की ।






महाराज भुरीवालो के चौथे गद्दीनशीन आचार्य स्वामी चेतना नन्द जी भुरीवालो जी के वास्तविक सहयोग से २ नवम्बर २००७ को गाव कलार से दून में स्थित गाव टिब्बा नंगल के लिए सड़क का निर्माण करवाया गया, जिसका उद्गघाटन माननीय मुख्यमंत्री सरदार प्रकाश

सिंह बदल ने किया,  जहाँ उन्होंने महाराज ब्रह्मानंद जी भुरीवालो के लोकहित कार्यों की सराहना करते हुए इस सड़क का नाम श्री सतगुरु ब्रह्मा नन्द जी भुरीवाले मार्ग रखा तथा इसे जल्द ही बलाचौर से बुन्गा साहिब जो की श्री आनंद पुर साहिब के पास है तक बड़ाने का निर्णय लिया |






आप ने कनाडा की संगत के लिए  टोरंटो में संत भुरीवाले गरीबदासी ब्रह्म निवास
गरीबदासी आश्रम,ऑस्ट्रेलिया
                 गरीबदासी ब्रह्म निवास आश्रम,कनाडा 
आश्रम स्थापित किया जहा पर हर साल बाबा गरीब दास जी की अमृत वाणी के पाठ करवाए जाते है । टोरंटो के साथ साथ आप ने ऑस्ट्रेलिया में भी आश्रम की स्थापना की ।











                           भारत की पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल के साथ स्वामी चेतनानन्द जी महाराज
















सम्प्रदाय के सामाजिक कार्य के देखते हुए पंजाब सरकार व कनाडा
कनाडा सरकार की ओर से प्रशंसा पत्र 
पंजाब सरकार की ओर से प्रशंसा पत्र 
देश की सरकार की ओर से महाराज जी को प्रशंसा पत्र दिया गया






















स्वामी चेतनानन्द जी भुरीवाले ने गुरु महाराज ब्रह्मानन्द जी भुरीवालो के कार्यों को
ओर आगे बडाते हुए साल में चार  निशुल्क नेत्र कैंप लगा रहे है जिस में से एक कैंप गाव : झांडिया कला में भी लगवाया जाता है । आज के दिन महाराज भूरीवालों की गद्दी पर आसीन महापुरुष परम पूज्य स्वामी चेतनानन्द जी वेदान्ताचार्य जी द्वारा 15 संस्थाए संचालित है, जो की भारत वर्ष के साथ साथ दूसरे देशों में भी हैं । द्वारा समय समय पर मेडिकल कैम्पो का आयोजन किया जाता है । रक्तदान शिविर में हजारो की संख्या में भक्त जन रक्तदान करते है। समय समय पर सम्प्रदाय की और से कैंसर की जाँच के लिए कैम्प लगाये जाते है। नेत्र जाँच शिविर भी काफी संख्या में लगाये जाते है । और हजारो लोगो की आँखों का निशुल्क ऑपरेशन किया जाता है ।



छुडानी धाम में बेदी
स्वामी चेतनानन्द जी महाराज ने 2 करोड़ की लागत से निर्मित सोने व चाँदी की बेदी सर्वोच्च गरीबदासीय पीठ, छतरी साहिब, छुडानी धाम में अर्पित की।




         







वर्तमान में स्वामी चेतनानन्द जी वेदान्ताचार्य जी के आदेशानुसार भूरीवाले गरीबदासी सम्प्रदाय की ओर से PGI चंडीगढ़ में प्रतिदिन लंगर सेवा दी जाती है ।
















    स्वामी चेतनानन्द जी महाराज के आदेशानुसार हमारी  Sat Sahib
 Portal Team ने बानी के प्रचार के लिए ग्रन्थ साहिब जी की वेबसाइट
 त्यार की और फिर एंड्राइड प्ले स्टोर पर भी महाराज जी के आशीर्वाद
 से बानी उपलब्ध है । इसके साथ साथ महाराज जी की कृपा से 
SATSAHIB RADIO भी चलाया जा रहा है । जिस पर हर समय 
गरीबदासीय बाणी और हमारी सम्प्रदाय के महान संत महापुरुषो के 
प्रवचन चलते है । 





सतगुरु,      सतगुरु,       सतगुरु जी ||
जै बन्दी छोड़, बन्दी छोड़, बन्दी छोड़ जी ||
तेरो नाम,    तेरो नाम,   तेरो नाम जी ||
आठो पहर जपिये जी,     तेरो नाम जी ||
पूर्व

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