भारतवर्ष सन्तों की भूमि होने के कारण जगत प्रसिद रहा है , सन्तों की भूमि होने के कारण यहाँ की मिटटी पूजने लायक है सन्तपुरुषों के इस देश में एक अति विख्यात सन्त हुए जिनको हम आचार्य श्री गरीबदास जी ने नाम से जानते हैं आचार्य श्री गरीबदास जी ने समय-समय पर परचे देकर ,लोगों को भक्ति के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया आचार्य श्री ने लोगों के कल्याण हेतु अमृतमयी वाणी कि रचना की जिसके पाठ करने मात्र से कितने ही लोग भवसागर पार कर गए
Friday, September 17, 2010
Friday, August 20, 2010
डाकू सुजान को महाराज गरीबदास जी द्वारा उपदेश
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एक समय सतगुरु महाराज आचार्य गरीबदास जी अपनी घोड़ी पर सवार हो कर कही से आ रहे थे , उनके साथ कुछ सेवक भी थे | रास्ते में भाटगाव का डाकू सुजान सिंह आपने दल -बल सहित सामने से आ रहा था | उसने देखा की ये कोई घोड़ी वाला बड़ा आदमी दीखता है क्योकि उस समय किसी गणमान्य व्यक्ति के पास ही घोड़ी होती थी | इसलिए सतगुरु जी को कोई बड़ा साहूकार समझकर उसने दूर से ललकारा कि वही पर रुक जाओ ,जो तुम्हारे पास है ,उसे उतार कर एक तरफ हट जाओ परन्तु सतगुरु जी तो निर्भय थे | उनके मन में किसी भी प्रकार का भय उत्पन नहीं हुआ तथा वे चलते रहे | गुरु ग्रन्थ साहिब जी में गुरु तेग बहादुर जी ने नौवे मोहल्ले में लिखा है :-
भय काहू को देत नहीं ,न भय मानत आन |
कह नानक सुन रे मना ,सो मूरत भगवान ||
दास गरीब अभय पद परसे ,मिलै राम अविनाशी |
Monday, July 19, 2010
सतगुरु कबीर रूप में प्रकट हुए आचार्य गरीबदास जी
सतगुरु समय समय पर अपना रूप बदल बदल कर इस धरातल पर अपने हँसो को पार लगाने के लिए आते है इसी तरह कबीर और गरीब में कोई फरक नहीं वेह ही सृष्टि के मालिक सतगुरु सच खंड के मालिक सभी रूपों में वास करने वाले है इसी बात को स्वामी रामानंद जी ने कबीर जी से कहा वेही वाक्य जगत गुरु बाबा गरीबदास जी ने अपने वाणी में युह बयां किया है ...
बोलत रामानंदजी, सुन कबीर करतार। गरीबदास सब रूपमैं, तुमहीं बोलन हार।।
तुम साहिब तुम संत हौ, तुम सतगुरु तुम हंस। गरीबदास तुम रूप बिन और न दूजा अंस।
सतपुरुष सतगुरु कबीर साहिब जी के ६४ हजार शिष्य थे जिनमे से अर्जुन- सुर्जन यह एक ऐसे नाम है । जिन का बाबा गरीबदास जी के पूर्व जन्म(कबीर साहिब )में बहुत महत्वता है । यह बड़ी ही विलक्षण बात है की वह दो व्यक्ति जो सतगुरु कबीर साहिब जी के जीवन से लेकर बाबा गरीबदास के जीवन तक उपस्थित थे जबकि इन दोनों के जीवन काल में २६० वर्ष का अंतर है।
बोलत रामानंदजी, सुन कबीर करतार। गरीबदास सब रूपमैं, तुमहीं बोलन हार।।
तुम साहिब तुम संत हौ, तुम सतगुरु तुम हंस। गरीबदास तुम रूप बिन और न दूजा अंस।
सतपुरुष सतगुरु कबीर साहिब जी के ६४ हजार शिष्य थे जिनमे से अर्जुन- सुर्जन यह एक ऐसे नाम है । जिन का बाबा गरीबदास जी के पूर्व जन्म(कबीर साहिब )में बहुत महत्वता है । यह बड़ी ही विलक्षण बात है की वह दो व्यक्ति जो सतगुरु कबीर साहिब जी के जीवन से लेकर बाबा गरीबदास के जीवन तक उपस्थित थे जबकि इन दोनों के जीवन काल में २६० वर्ष का अंतर है।
Sunday, July 11, 2010
आचार्य श्री गरीब दास जी महाराज का जीवन परिचय
आचार्य श्री गरीब दास जी महाराज का जीवन परिचय
सतगुरु संत और अवतार तीन कला एके दरबार
जगतगुरु आचार्य श्री गरीबदास महाराज जी का अवतार इस कलयुग में भटक चुके लोगों को परमेश्वर प्राप्ति का सही मार्ग दिखाने के लिये छुडानी में हुआ आप कबीर पंथ के महान संत, महान योगी, महान कवी हुए आप जी की इस जगत को सब से
बड़ी देन आप जी की पवित्र वाणी है जो की “श्री ग्रन्थ साहिब” के नाम से प्रचलित है इसमे आप जी ने लगभग १८०० दोहों की रचना की है इतनी बड़ी मात्र में विभिन्न भाषाओं के शब्दों का प्रयोग करते हुए शायद ही किसी महापुरुष ने वाणी की रचना की हो आप की पवित्र वाणी को पढ- सुनकर, विचारकर ना जाने कितने ही जीवों का उद्धार हो चूका है और आगे भी होता रहेगा जहां एक तरफ आप ने परमेश्वर प्राप्ति के लिये नाम स्मरण, भक्ति और ज्ञान मार्ग का उपदेश दिया वहीं दूसरी तरफ समाज में फैली बुराइयों का जम कर विरोध भी किया आप हिंदू मुसलिम सब को एक सामान, उस एक परमात्मा की संतान मानते थे
आप हमेशा तुरिया अवस्था में लीन रहते थे और आप जी के श्री मुख से सहज ही वाणी प्रकट होती रहती थी
आप जी से ही गरीब दासी पंथ की शुरुवात हुई जो आज भारत के अनेक राज्यों में पसर चूका है
सतगुरु संत और अवतार तीन कला एके दरबार
जगतगुरु आचार्य श्री गरीबदास महाराज जी का अवतार इस कलयुग में भटक चुके लोगों को परमेश्वर प्राप्ति का सही मार्ग दिखाने के लिये छुडानी में हुआ आप कबीर पंथ के महान संत, महान योगी, महान कवी हुए आप जी की इस जगत को सब से
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आप हमेशा तुरिया अवस्था में लीन रहते थे और आप जी के श्री मुख से सहज ही वाणी प्रकट होती रहती थी
आप जी से ही गरीब दासी पंथ की शुरुवात हुई जो आज भारत के अनेक राज्यों में पसर चूका है
Saturday, June 12, 2010
ਮਹਰਾਜ ਭੂਰੀਵਾਲੇ ਜਦੋ ਪਹਲੀ ਵਾਰ ਮਾਲੇਵਾਲ ਆਏ
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ਮਹਾਰਾਜ ਸਵੇਰੇ ਜਲਦੀ ਹੀ ਚਲ ਪਾਏ, ਮਹਾਰਾਜ ਜੀ ਫ਼ਗਵਾੜਾ ਤਕ ਬਸ ਵਿਚ ਗਏ ਅਤੇ ਉਸ ਤੋ ਬਾਦ ਰੇਲ ਰਾਂਹੀ ਗੜਸ਼ੰਕਰ ਪਹੁਚੇ I ਮਹਾਰਾਜ ਜੀ ਦੇ ਉਥੇ ਆਉਣ ਤੇ ਸੰਗਤ ਬਹੁਤ ਜਿਆਦਾ ਮਾਤਰਾ ਵਿਚ ਆ ਗਈ I ਮਹਾਰਾਜ ਜੀ ਦੇ ਨਾਲ ਦੋਨੋ ਸ਼੍ਰੀ ਮਹਾਂਨਤ ਵੀ ਸਨ ਸੰਗਤ ਨੇI ਮਹਾਰਾਜ ਜੀ ਵਾਸਤੇ ਪਾਲਕੀ ਦਾ ਪ੍ਰੰਬਧ ਕੀਤਾ ਹੋਇਆ ਸੀ, ਜਦੋ ਮਹਾਰਾਜ ਜੀ ਗੜਸ਼ੰਕਰ ਤੋ ਮਾਲੇਵਾਲ ਲਈ ਚਲੇ ਤਾਂ ਰਸਤੇ ਵਿਚ ਜੋ ਵੀ ਮਹਾਰਾਜ ਜੀ ਦੇ ਦਰਸ਼ਨ ਕਰਦਾ ਉਹ ਨਿਹਾਲ ਹੋ ਜਾਂਦਾਂ ਉਸ ਵੇਲੇ ਇਸ ਤਰਾਂ ਪ੍ਰੀਤੀਤ ਹੋ ਰਿਹਾ ਸੀ ਜਿਸ ਤਰਾਂ ਦੇਵਤੇ ਧਰਤੀ ਤੇ ਉਤਰ ਆਏ ਹੋਣI ਜੋ ਵੀ ਦਰਸ਼ਨ ਕਰਦਾ ਉਹ ਮਹਰਾਜ ਜੀ ਨਾਲ ਹੀ ਚਲ ਪੇੰਦਾਂ I ਮਹਾਰਾਜ ਜੀ ਪੀਛੇ ਸੰਗਤ ਇਕ ਵਿਸ਼ਾਲ ਸ਼ੋਭਾ ਯਾਤਰਾ ਦਾ ਰੂਪ ਲੈ ਚੁਕੀ ਸੀ I ਮਹਾਰਾਜ ਜੀ ਦੇ ਅਗੇ ਬੇੰਡ ਵਾਜੇ ਵਾਲੇ ਚਲ ਰਹਿ ਸੀ I ਮਹਾਰਾਜ ਜੀ ਦੇ ਪੀਛੇ ਸੰਗਤ ਬਾਣੀ ਦੇ ਸ਼ਬਦ ਗਾ ਰਹਿ ਸਨ ਜੋ ਵੀ ਮਹਰਾਜ ਜੀ ਵਲ ਦੇਖਦਾ ਉਹਨਾ ਦੇ ਚੇਹਰੇ ਦੇ ਰੂਪ ਨੂ ਦੇਖਦਾ ਹੀ ਰਹ ਜਾਂਦਾ I
Monday, June 7, 2010
ਪੀਰ ਬਾਬਾ ਸ਼ੋੰਕੇ ਸ਼ਾਹ ਦੀ ਕਥਾ
ਜਿਸ ਤਰਾਂ ਇਸ ਧਰਤੀ ਨੂੰ ਸਤਗੁਰੁ ਭੂਰੀਵਾਲੇ ਮਹਾਰਾਜ ਜੀ ਦੀ ਚਰਨ ਸ਼ੋਹ ਪ੍ਰਪਾਤ ਹੋਈ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਮਹਰਾਜ ਇਕ ਦਿਨ ਰਕਬੇ ਓਇੰਦ ਵਿਚੋ ਦੀ ਲਾੰਗ ਰਹੇ ਸਨ ਰਾਤ ਦਾ ਸਮਾਂ ਹੋਣ ਕਰਕੇ ਲੋਕਾ ਕੋਲੋ ਵਿਸ਼੍ਰਾਮ ਕਰਨ ਵਸਤੇ ਜਗਾ ਬਾਰੇ ਪੁਛਿਆ ਕਿਸੇ ਸਜਨ ਨੇ ਮਖੋਲ ਨਾਲ ਉਸ ਘਨੇ ਜੰਗਲ ਵਾਲੇ ਪਾਸੇ ਕੀਤਾ ਜਿਥੇ ਕੀ ਇਕ ਪੀਰ ਬਾਬਾ ਸ਼ੋੰਕੇ ਸ਼ਾਹ ਜੀ ਦੀ ਮਜਾਰ ਸੀ ਇਸ ਜਗਾ ਵਾਲੇ ਪਾਸੇ ਪਿੰਡ ਦਾ ਕੋਈ ਵੀ ਆਦਮੀ ਦਿਨ ਨੂੰ ਵੀ ਨਹੀ ਸੀ ਆਓਂਦਾ ਇਸ ਪੀਰ ਬਾਬਾ ਸ਼ੋੰਕੇ ਸ਼ਾਹ ਜੀ ਕਰੋਪੀ ਬਾਰੇ ਵਿਚ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਚਰਚਾ ਸੀ ਅਤੇ ਲੋਕਾ ਦੇ ਮਨ ਵਿਚ ਡਰ ਦਾ ਮਾਤਮ ਵਸਿਆ ਹੋਇਆ ਸੀ ਦਸਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕੀ ਜੇ ਭੁਲ ਭੁਲ ਭੁਲੇਖ ਕੋਈ ਵੀ ਪਸ਼ੁ ਇਧਰ ਆ ਜਾਂਦਾ ਤਾ ਅਪਨੀ ਜਾਂ ਗਵਾ ਲੇਂਦਾ ਸੀ ਇਥ ਇਹ ਵੀ ਜਿਕਰ ਕਰਨ ਜੋਗ ਹੈ ਕੀ ਪੀਰ ਜੀ ਅਪਨੇ ਸਮੇ ਇਕ ਉਠਨੀ ਰਖਿਆ ਕਰਦੇ ਸੀ ਇਸ ਉਠਨੀ ਦੇ ਗਲ ਵਿਚ ਪੀਰ ਜੀ ਇਕ ਬਾਲਟੀ ਬਨ ਦਇਆ ਕਰਦੇ ਸੀ ਅਤੇ ਇਹ ਉਠਨੀ ਘਰੋ ਘਰੀ ਜਾ ਕੇ ਪੀਰ ਜੀ ਨੂੰ ਭਿਖਿਆ ਲਿਆ ਕੇ ਦਇਆ ਕਰਦੀ ਸੀ ਪੀਰ ਜੀ ਕਰਨੀ ਵਾਲੇ ਸਨ ਅਤੇ ਬਹੁਤ ਸਖਤ ਸਨ I
Wednesday, May 19, 2010
चौधरी रखा राम मल का जीवन परिवर्तन
चौधरी रखा राम मल एक गुज्जर समाज में रहने वाले सीधे -सादे भगवन में आस्था रखने वाले इंसान थे तथा देश आजाद होने से पहले वेह गुजरावाला जो की अब पाकिस्तान का हिसा है में मंड्डी के चौधरी तथा कुछ समय के लिए इंस्पेक्टर भी रहे I
Friday, March 5, 2010
भूरी को बुखार
एक समय की बात है सतगुरु ब्रह्म सागर जी महाराज भुरिवाले लुधियाना की कुटिया में आये हुए थे मुख्यद्वार के साथ कुटिया में महाराज जी का आसन लगा हुआ था एक दिन की बात है की
महाराज जी को बहुत जोर का भुखार हो रहा था
महाराज सुबह से ही भूरी ओढ़े अपने कमरे में लेटे हुए थे कुछ खाया पिया भी नहीं था दोपहर को कही से चार संत आये और दीवान जी से पूछा की महाराज जी कहा है ? दीवान जी ने कहा की महाराज जी को बहुत जोर का बुखार हो रहा है संतो ने महाराज जी से मिलने की इछा परगट की दीवान जी महाराज जी के गए और कहा की हे गुरुदेव ! चार महात्मा आप से मिलना चाहते है महाराज जी ने महात्माओ को जल पान करवाने का आदेश दिया और बाद में मिलने को कह दिया
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महाराज सुबह से ही भूरी ओढ़े अपने कमरे में लेटे हुए थे कुछ खाया पिया भी नहीं था दोपहर को कही से चार संत आये और दीवान जी से पूछा की महाराज जी कहा है ? दीवान जी ने कहा की महाराज जी को बहुत जोर का बुखार हो रहा है संतो ने महाराज जी से मिलने की इछा परगट की दीवान जी महाराज जी के गए और कहा की हे गुरुदेव ! चार महात्मा आप से मिलना चाहते है महाराज जी ने महात्माओ को जल पान करवाने का आदेश दिया और बाद में मिलने को कह दिया
Tuesday, February 2, 2010
जीवन परिचय
श्री सतगुरु ब्रह्म सागर जी महाराज भुरीवाले
वैसे तो भारत देश ही भक्ति प्रदान देश माना गया है , पर पंजाब के जिला रोपड़ की तहसील श्री आनंदपुर साहिब जो खालसा की जन्म भूमि होने के कारण अपनी अलग पहचान रखती है, वहीं इसी तहसील की गाव रामपुर पोसवाल में गरीबदासीय संप्रदाय के उच्च कोटी के महापुरष वृक्त साधू सतगुरु ब्रह्म सागर भुरीवालो की जन्मभूमि होने के कारण इस संप्रदाय के श्रदालुओ के लिए पूजनीय स्थान है |
वैसे तो भारत देश ही भक्ति प्रदान देश माना गया है , पर पंजाब के जिला रोपड़ की तहसील श्री आनंदपुर साहिब जो खालसा की जन्म भूमि होने के कारण अपनी अलग पहचान रखती है, वहीं इसी तहसील की गाव रामपुर पोसवाल में गरीबदासीय संप्रदाय के उच्च कोटी के महापुरष वृक्त साधू सतगुरु ब्रह्म सागर भुरीवालो की जन्मभूमि होने के कारण इस संप्रदाय के श्रदालुओ के लिए पूजनीय स्थान है |
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