Friday, August 20, 2010

डाकू सुजान को महाराज गरीबदास जी द्वारा उपदेश

सतगुरु गरीबदास जी ने अपने काल में कई पापी,दुराचारी लोगो का जीवन ही बदल दिया | उन्होंने डाकू और कातिलों को अपनी बानी द्वारा जक्झोड दिया तथा उनका जीवन ही बदल डाला| महापुरष स्वः ऐसा ही करते है |ऐसा ही कुछ हुआ डाकू सुजान के साथ |
एक समय सतगुरु महाराज आचार्य गरीबदास जी अपनी घोड़ी पर सवार हो कर कही से आ रहे थे , उनके साथ कुछ सेवक भी थे | रास्ते में भाटगाव का डाकू सुजान सिंह आपने दल -बल सहित सामने से आ रहा था | उसने देखा की ये कोई घोड़ी वाला बड़ा आदमी दीखता है क्योकि उस समय किसी गणमान्य व्यक्ति के पास ही घोड़ी होती थी | इसलिए सतगुरु जी को कोई बड़ा साहूकार समझकर उसने दूर से ललकारा कि वही पर रुक जाओ ,जो तुम्हारे पास है ,उसे उतार कर एक तरफ हट जाओ परन्तु सतगुरु जी तो निर्भय थे | उनके मन में किसी भी प्रकार का भय उत्पन नहीं हुआ तथा वे चलते रहे | गुरु ग्रन्थ साहिब जी में गुरु तेग बहादुर जी ने नौवे मोहल्ले में लिखा है :-

भय काहू को देत नहीं ,न भय मानत आन |
कह नानक सुन रे मना ,सो मूरत भगवान ||

आचार्य जी स्वय अपने मुखारबिंद से कहते है :-
दास गरीब अभय पद परसे ,मिलै राम अविनाशी |