अलल पंख अनुराग है, सुन्न मण्डल रहे थीर |
दास गरीब उधारिया, सतगुरु मिले कबीर ||
अनंता-अनन्त अखिल ब्रह्मंड नायक ज्योत
सत्पुरुष सतगुरु श्री.श्री.१००८ गरीब दास जी महाराज ने श्री छुड़ानी धाम जिला झज्जर
तहसील बहादुरगढ़ हरियाणा में अवतार लिया| जब आचार्य गरीब दास जी महाराज १० वर्ष की आयु के थे तब उनको परमपिता परमेश्वर
सत्पुरुष सतगुरु कबीर साहिब जी महाराज ने दर्शन दिए थे| बात वि०सं० १७८४ फाल्गुन शु० दवाद्शी की है जब
रोजाना की तरह आचार्य गरीब दास जी महाराज गायें चराने खेतो में गए हुए थे| तब वह गायो को अपने और साथियों को
सोप कर ध्यान लगा कर एकांत में बैठ गए|
कुछ समय बीत जाने पर आचार्य गरीब दास
जी के साथी बालक उनके के पास आये| तभी वँहा असंख्यो सूर्यो का प्रकाश
आसमान में दिखाई देने लगा जिसको देखकर सब बालक चकित रह गए और सोचने लगे की शायद आज
सूर्य देवता धरती पर आ रहे है पर उस प्रकाश में बड़ी ही शीतलता थी|
तभी एक देवमूर्ति आकाश से पृथ्वी पर
आती हुई दिखाई दी ठीक उसी जगह जंहा आचार्य गरीब दास जी महाराज ध्यान लगा कर बैठे
हुए थे| कुछ बालक कबीर दास जी महाराज को देख कर घबरा गए और सोचने लगे कि “पता नहीं यह
कोन आ गया” .तभी बालको ने आचार्य गरीब दास जी महाराज को उठाया और कहा कि “गरीबा देखो कोन आ
आया है’’| तभी आचार्य गरीब दास जी महाराज ने देखा कि साक्षात कबीर साहिब जी उनके सामने
खड़े है|
तभी आचार्य गरीब दास जी महाराज ने कबीर साहिब जी के चरणों में दण्डवत प्रणाम
किया| तब आचार्य गरीब दास जी महाराज ने प्रार्थना कि “महाराज यदि आप आदेश दे तो मै
आपके लिए भोजन ले आऊ”| तब कबीर साहिब जी ने कहा कि “हम भोजन तो नहीं करेंगे पर दूध जरुर पियेंगे” | तब आचार्य गरीब दास जी महाराज ने कहा
कि “महाराज जी आपकी किरपा से बहुत गाये हैं उनको आपके पास ले आता हूँ फिर आपको जितना
दूध पीना हो पी सकते हो”|
तब कबीर साहिब जी ने कहा कि “हम तो बिन बियाई गाय (बछिया) का दूध पियेंगे”|
तभी आचार्य गरीब दास जी महाराज ने कई
बछिया लाकर कबीर साहब के सामने खड़ी कर दी और कहा जी कि “महाराज जी जिस बछिया के
उप्पर आप हाथ रखोगे उसी का हम दूध आपको पिलायेंगे”| तभी कबीर साहिब जी ने एक बछिया पर हाथ जो की आचार्य गरीब दास जी महाराज को
सबसे प्रिय थी”| आचार्य गरीब दास जी महाराज ने बछिया के नीचे बर्तन रखा और फिर उसकी पीठ पर
अपना कोमल हाथ फेरा जिससे अपने आप ही उस बछिया के सतनो से दूध की धारायें बहने लगी
और बर्तन भर गया| तब आचार्य गरीब दास जी महाराज ने वह दूध कबीर साहिब जी को दिया तो कबीर साहब
ने वह दूध आधा पी कर आचार्य गरीब दास जी महाराज को दे दिया और कहा कि ”गरीबा अब
तुम इसे पियो”|
उस समय कबीर साहिब जी ने
मर्यादा पालन के लिए आचार्य गरीब दास जी महाराज को उपदेश व नाम दान की दीक्षा दी और
तभी वँहा से अंतर्ध्यान हो गए| और उधर आचार्य गरीब दास जी महाराज ध्यान में लीन हो गए क्युकि कबीर साहिब जी जी
गरीब दास जी महाराज की आत्मा को निकाल कर अपने साथ सतलोक की यात्रा पर ले गए थे| और यँहा प्रथ्वी पर सिर्फ गरीब दास
जी महाराज का शारीर था जो उन्होंने इस संसार की मर्यादा के लिए धारण किया हुआ था
गरीब दास जी महाराज का शरीर ५ तत्वों का नहीं बल्कि तेजपुंज का शरीर था (यह बात
सिद्ध भी हो गई थी जिसका वर्णन आगे किया जाएगा)| इस यात्रा का वर्णन महाराज जी अपनी
वाणी में करते हुए कहते है कि:
गरीब प्रपट्टन की पीठ में, प्रेम प्याले खूब|
जहाँ हम सद्गुरु ले गया, मतवाला महबूब ||
जहाँ हम सद्गुरु ले गया, मतवाला महबूब ||
(अर्थात महाराज जी कहते है कि “उस सतलोक के बाजार के अंदर प्रेम के भरे हुए प्याले बहुत से हैं| जो उनको पीते हैं, वे मतवाले होकर उस परमेश्वर के प्यारे हो जाते हैं| अर्थात सद्गुरु ने हमें वहाँ लेजा कर अपने जैसा बना लिया अर्थात सद्गुरु ने अपने में लीन कर लिया एवं मोक्ष पद को प्राप्त हो गए| प्रेम रुपी अमृत का प्याला पेट भर पिलाया और मस्त करके उस परम प्यारे ब्रम्ह में लीन कर दिया” )
तब पृथ्वी के वासियों को लगा कि उनके प्राणों की गति रुक गई हैं यह देख कर बालक बहुत घबरा गए और महाराज जी के घर आकर उनकी माता से कहने लगे कि “भुआ गरीबा मर गया एक दाढ़ी वाला बाबा आया था उसका झूठा दूध गरीबा ने पी लिया और वह मर गया”| यह सुनकर गरीब दास जी महाराज के माता-पिता मुर्छित हो गए और सभी ग्राम वाले भी आचार्य गरीब दास जी महाराज से बहुत प्यार करते थे तो उनको भी बहुत बुरा लगा और सारे छुड़ानी धाम में शोक की लहर दोड़ गई| सभी ग्रामवासी व माता-पिता उस स्थान पर पहुंचे जंहा आचार्य गरीब दास जी महाराज अचेत अवस्था में थे| उस समय शोक मानो अपने दीर्घ समुदाय सहित उसी स्थान पर आ प्रकट हुआ था| तभी ग्राम के बड़े बुजर्गो ने आचार्य गरीब दास जी महाराज के माता-पिता को धर्य बंधाया और आचार्य गरीब दास जी महाराज के अंतिम संस्कार की तयारी करने लगे और महाराज जी को श्मशान भूमि पर ले गए और भूमि पर रख दिया और अंतिम संस्कार की तयारी करने लगे| इस अघटित घटना से सभी को आघात पहुंचा था|
तभी आचार्य गरीब दास जी महाराज के पैर का अंगूठा हिलता दिखाई दिया और साथ ही उनके मुख से “बंदी छोड़ व सत साहिब” शब्द निकले| यह घटना देख कर सब के अंदर एक ख़ुशी की लहर उठ गयी| तभी गरीब दास जी महाराज के बंधन खोल दिए गए (उनको अर्थी
पर बांध रखा था)| बंधन खुलते ही गरीब दास जी
महाराज उठ बैठे .माता-पिता ने गरीब दास जी महाराज जी को सीने से लगा लिया और माता-पिता ने कहा “बेटा यह तूने क्या किया हमे इतना दुःख क्यों दिया”| तब आचार्य गरीब दास जी महाराज ने आश्चर्य से कहा कि “आप मुझे शमशान में ले आये मुझे मरा हुआ समझा ! मै तो सोया हुआ था”| यह सुनकर पिता जी ने कहा कि ”बेटा ऐसा सोना कैसा तेरी तो नाड़ी तक बंद हो गयी थी”| तब वँहा परस्पर बातें होती रही और फिर सभी लोग गरीब दास जी महाराज के साथ घर वापिस आ गए| इस प्रकार एक बार फिर से प्रशन्ता की लहर ने छुड़ानी धाम पर कब्ज़ा कर लिया|
और इस दिन के बाद गरीब दास जी की ख्याति और तेजी से फेलने लगी| गरीब दास जी महाराज के बारे में जानकर बहुत लोग महाराज जी के पास आने लगे
और गरीब दास जी महाराज जी ने उपदेश देना शुरु कर दिया| और फिर गरीब दास जी महाराज ने अनेको जीवों को इस भवसागर से पार कराया|
अलल पंख अनुराग है, सुन्न मण्डल रहे
थीर |
दास गरीब उधारिया, सतगुरु मिले कबीर ||
दास गरीब उधारिया, सतगुरु मिले कबीर ||
महाराज जी कहते है कि सद्गुरु जी का प्रेम अपने
प्रेमी हंसों (भक्तों) से है जैसे अलल पक्षी अपने बच्चों से प्रेम रखता है| वह आकाश मंडल में
स्थिर रहते हुए भी अपने सुरति बल से अपने बच्चों को अपने पास खींच लेता है| गरीब दास जी महाराज कह रहे हैं कि उसी प्रकार
से सद्गुरु कबीर साहेब जी ने अपने निज स्वरूप का बोध करवा कर, मेरा उद्धार कर दिया|
|| सतपुरुष कबीर दास जी महाराज की जय ||
|| आचार्य श्री.श्री.१००८ गरीब दास जी महाराज की
जय ||
|| सतगुरु भूरीवाले जी महाराज की जय ||
|| छुड़ानी धाम धाम की जय ||
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