बिना
धनि की बंदगी, सुख नही तीनों लोक |
चरण कमल के ध्यान से, गरीब दास संतोष ||
श्री सतगुरु ब्रह्म सागर
जी भूरी वालो की श्री छुड़ानी धाम के प्रति अपार श्रद्धा
थी | वह ज्यादा से ज्यादा समय श्री छुड़ानी धाम
में रहकर श्री छतरी साहिब की सेवा में लगाया करते थे| और
हमेशा अपने शिष्यों को कहते थे कि “जो कोई हमारी सेवा करना चाहता है , हमारी खुशी प्राप्त करना चाहता है ,वह श्री छतरी साहिब छुड़ानी धाम की सेवा करे”| श्री महंत गंगा सागर जी
बचपन में ही श्री छुड़ानी धाम की गद्दी पर आसीन हुए| बचपन में श्री महंत गंगा
सागर जी अपनी आयु के समान बच्चो के साथ खेलते थे| महाराज भुरीवालो का यह
नियम था कि जितनी बार भी श्री महंत जी खेलते-खेलते हुए
उनके पास आते तो महराज जी
उनको दंडवत प्रणाम किया करते थे तथा कहा करते थे कि “यह मेरे बाप के लाल है”| श्री सतगुरु ब्रह्म सागर जी भूरी वालो की यह बात भी श्री
छतरी साहिब छुड़ानी धाम के प्रति उनकी श्रद्धा का प्रमाण हैं|
एक बार की बात हैं कि “श्री सतगुरु ब्रह्म सागर
जी भूरी वालो ने श्री छतरी साहिब छुड़ानी धाम में सुबह-सुबह धर्म
सभा लगाये हुए थे| धर्म सभा में उनके साथ काफी सांगत भी बैठी हुई थी”| तभी सतगुरु जी ने आसमान की तरफ देखते हुए कहा कि “देखो मेरी माता जी का विमान
जा रहा है”| वँहा बैठी हुई संगत ने ऊपर देखा तो उन्हें एक विमान पूर्व की तरफ जाता हुआ नजर आया
और उस विमान के चारों ओर से प्रकाश निकल रहा था| यह नजारा देखकर वँहा बैठी हुई संगत को यकीन हो गया कि “श्री सतगुरु ब्रह्म सागर जी भूरी वालो की माता जी की आत्मा सतलोक को जा रही है”| पर हर जगह हमे ऐसे लोग मिलते है जिनको विस्वास नहीं होता तो उस समय भी ऐसा ही
हुआ| वँहा बैठे हुए लोगो में से ३-४ लोगो
को विश्वास नहीं हुआ कि “सतगुरु जी तो यहाँ है उनको कैसे पता की उनकी माता जी ने
शरीर छोड़ दिया है”| उन लोगो ने निश्चय किया कि श्री रामपुर धाम जाकर पता करना चहिये|
वे लोग रास्ता पूछते-पूछते श्री रामपुर धाम में पहुँच गए| अगले ही दिन श्री सतगुरु ब्रह्म सागर जी भूरीवाले जी महाराज भी पंजाब पहुँच गए थे | वे शंकावादी लोग रामपुर में श्री सतगुरु
ब्रह्म सागर जी भूरी वालो के छोटे भाई श्री किरपा राम जी से मिले और
उन्होंने श्री किरपा राम जी से उनकी माता जी के बारे में पुछा तो पता चला कि “माता
जी का निधन हो गया है और ठीक उसी समय हुआ था जब सतगुरु जी ने छुड़ानी धाम में सांगत
को विमान दिखाया था”| इस प्रकार उन लोगो की शंका दूर हुई| अब उन ३-४ लोगो को अपनी गलती का
अहशास हुआ और वो लोग सतगुरु जी के पास लुधियाना कुटिया में गए| क्योंकि अगले ही दिन सतगुरु जी पंजाब आ गये थे| जैसे ही वो सतगुरु जी के पास माफ़ी के
लिए पहुंचे तो सतगुरु जी को तो सब कुछ पता था वो तो अंतरयामी थे उन्होंने कहा कि “मूर्खो! तुम्हे श्री छुड़ानी धाम में मेरी बातो पर यकींन नहीं हुआ, अब रामपुर जाकर हुआ या
नहीं| या फिर अब भी कोई कसर रह गई”| उन लोगो ने सतगुरु जी के चरणों में दंडवत प्रणाम किया और उनसे हुई भूल के लिए
माफ़ी मांगने लगे|
श्री सतगुरु ब्रह्म सागर
जी भूरी वालो के आगे प्रार्थना:
हाथ
जोड़ विनती करूं, सुन गुरु क्रपा निधान |
सतगुरु
ब्रह्मसागर जी के, मैं चरण कमल का ध्यान ||
ध्यान
धरे संकट कटे, दर्शन से दुःख जाय |
सतगुरु
ब्रह्मसागर जी के, मैं चरण कमल की छाय ||
सतगुरु
ब्रह्मसागर जी के, मैं आगे करूं पुकार |
सन्त
दास गुलाम की, पत रखियो बहुत संभार ||
सतगुरु, सतगुरु, सतगुरु जी ||
जै
बन्दी छोड़, बन्दी छोड़, बन्दी छोड़ जी ||
तेरो
नाम, तेरो नाम, तेरो नाम जी ||
आठो
पहर जपिये जी, तेरो नाम जी ||
सतपुरुष कबीर दास जी महाराज की जय
आचार्य श्री.श्री.१००८ गरीब दास जी महाराज की जय
श्री सतगुरु ब्रह्म सागर जी भूरी
वालो की जय
छुड़ानी धाम की जय
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