Wednesday, May 19, 2010

चौधरी रखा राम मल का जीवन परिवर्तन

                                       चौधरी रखा राम मल एक गुज्जर समाज में रहने वाले सीधे -सादे भगवन में आस्था रखने वाले इंसान थे तथा देश आजाद होने से पहले वेह गुजरावाला ‌‌जो की अब पाकिस्तान का हिसा है में मंड्डी के चौधरी तथा कुछ समय के लिए इंस्पेक्टर भी रहे I
                                      एक बार उनके किसी मित्र ने उन्हें महाराज भुरीवालो के बारे में बताया की वह बड़े ही करनी वाले संत है तथा मिलाने ले गए . जब चौधरी रखा राम मल महाराज जी से मिलने गए तो महाराज जी लुधियाना के पास एक कुटिया में आये हुए थे जहा जा कर उन्होंने महाराज जी के दर्शन किये बस दर्शन क्या किये उनको लगने लगा की बस अब उन्हें कही जाने की जरुरत नहीं क्यों की वह सृष्टि के मालक के सामने थे I
                                   जब प्रणाम कर के चौधरी रखा राम महाराज जी को निहारने लगे तो महाराज जी भी मंद मंद मुस्कान के साथ उनकी तरफ देखने लगे, मानो चौधरी रखा राम मल की सारी आगे पीछे की पड रहे हो  I थोड़े ही समय के बाद महाराज  श्री जी ने उन्हें अपने पास बुला कर गुज्जरी भाषा में कहा " रे भाऊ उरे आ तथा कान में कुछ कहा तथा व्यंग के साथ कहा " उपर नु चडी जहा"
                                  महाराज श्री ने जो उन्हें कान में कहा वेह बड़ी ही उत्सुकता के साथ चौधरी रखा राम ने मुझे बताया तथा जब मेने इस ब्लॉग को लिखना शुरू किया तब उकने ही बड़े बेटे श्री खुशी राम चौहान से इस वक्य को पुन्हा सुनकर मैं भी गध गध हो उठा  क्योकि जो अंदाज चौधरी रखा राम मल का बताने का था वही अंदाज श्री खुशी राम जी का था I
उन्होंने मुझे बताया की महाराज श्री ने उनके कान में यह कहा था की  " ऐसे पासा नु लगया रहिये"  इस के बाद महाराज श्री पर उनकी आस्था और भी बड गई तथा घर आ कर बच्चो के गले में जो तन्दिरे बांदे हुए थे वह भी महाराज श्री के चरणों में अर्पित कर दिये I
                                         महाराज भुरीवालो के दर्शन करने उपरांत मानो उनके जीवन में और कोई लक्ष्य रह ही न गया हो I इस के बाद उन्होंने अपने सबसे छोटे बेटे श्री चंद्रशेखर चौहान को  दो वर्ष की आयु में महाराज श्री के उस समय के उतराधिकारी श्री सतगुरु लाल दास जी को सोमप दिया जो की आगे चल कर भुरीवाले भेख के महान संतो के रूप में उभर के अए तथा भुरीवालो के चौथे गुरु गद्दीनशीन पर विराज मन हुए I

चौधरी रखा राम मल इस के बाद महाराज श्री की ही भक्ति में खोये रहते थे अत: अंतत उन्होंने भी अपना सारा जीवन प्रभु भक्ति को सपुर्द कर दिया और सन्यास धारण कर चौधरी रखा राम  मल से स्वामी कृष्णा  नन्द हो गए तथा महाराज श्री की भक्ति करते हुए प्रभु के चरणों में जा विराजे I

2 comments:

  1. मैं यह जानना चाहता हूं की चौधरी जी का सही नाम रख्खा राम था या राम रख्खा |

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  2. teri mahma too he jana, aur na jana koa. sat sahib

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