वैसे तो भारत देश ही भक्ति प्रदान देश माना गया है , पर पंजाब के जिला रोपड़ की तहसील श्री आनंदपुर साहिब जो खालसा की जन्म भूमि होने के कारण अपनी अलग पहचान रखती है, वहीं इसी तहसील की गाव रामपुर पोसवाल में गरीबदासीय संप्रदाय के उच्च कोटी के महापुरष वृक्त साधू सतगुरु ब्रह्म सागर भुरीवालो की जन्मभूमि होने के कारण इस संप्रदाय के श्रदालुओ के लिए पूजनीय स्थान है |
महाराज ब्रह्म सागर जी भूरी वालो का जन्म विक्रमी संमत १९१९ को भादों की कृष्ण पक्ष की अष्टमी वाले दिन पिता श्री बीरुरम के घर माता श्रीमती भोली देवी की सुभागी कोख से हुआ | जिन्होंने पंजाब में ही नहीं बल्कि उत्तर भारत में अनेकों राज्यों में आचार्य श्री गरीबदास जी की बानी के माध्यम से अपने सरल उपदेशों से अंध विश्वाश में फसें लोगों को नाम बानी के साथ जोड़ने का प्रयत्न किया | संत महापुरषो की महिमा करते हुए आचार्य श्री गरीबदास जी उस माता , स्थान ,नगर, देश ,वंश को उच्च मानते है | जिनका सबंध पूर्ण महापुरषों से होता है | बानी में फरमान करते है |
गरीब धन जननी ,धन भूमि धन, धन नगरी , धन देश |
धन करनी, धन कुल धन ,जहाँ साधू प्रवेश ||
उनके अध्यात्मक गुरु स्वामी ब्रह्म दास गोदडी वालो के शिष्य स्वामी दया नन्द थे जिनकी कृपा तथा आशीर्वाद से आप गंगा राम से स्वामी ब्रह्मसागर बने | वेदों की पढाई आप जी ने स्वामी सर्बानंद से प्राप्त की | अध्यात्मक सद ग्रंथो में गुरु की बड़ी महत्ता बताई गई है क्योकि गुरु ज्ञान प्रकाश का प्रतीक है | महाराज ब्रह्म सागर भूरी वालों ने नाम दान की दीक्षा देकर हजारों प्राणियो को सत् मार्ग प्रदान किया | आप जी की भक्ति का यश ही था कि आप गरीबदासीय सम्प्रदाय के संत भुरीवाले महापुरष के नाम से प्रसिद्ध हो गए | आप जी से बड़ी संख्या में संसारिक प्राणीयो के अतिरिक्त १७ संत महापुरषो ने नाम शब्द के प्राप्ति की | जिनमे स्वामी लालदास रकबे वालों को आप जी "आ गया मेरा लाल " कह क्र पुकारा करते थे जो कि आप जी की आज्ञा अनुसार गुरुगद्दी के अगले गद्दी नशीन बने इनके द्वारा लगाये गए भक्ति के बूटे को और भी प्रफुलित किया | सतगुरु श्री ब्रह्म सागर जी भुरीवाले ८५ वर्ष की आयु में विक्रमी संमत २००४(सन १९४७ के सितम्बर माह की २३ तारीख ) मगर महीने की दसवी सुदी दिन मंगलवार को जिला संगरूर के जलूर धाम में अपना पञ्च भोतिक शारीर त्याग करके ब्रह्मलीन हो गए | गुरु प्रणाली के अनुसार आप के उतराधिकारी स्वामी लालदास जी महाराज इस गुरुगद्दी के दूसरे गुरु रूप में सुशोभित हुए जिन्होंने गुरु की आज्ञा तथा परम्परा पर चलते हुए २८ वर्ष इस सम्प्रदाय की रहनुमाई करते हुए भक्ति का उपदेश दिया
ॐ सत् साहिब जय बन्दी छोड़
इतने बड़े महान महापुरषों का जीवन परिचय इतना ज्यादा संक्षिप्त |महाराज जी की जीवनी को घटना क्रम के अनुसार लिखना कैसे रहेगा|
ReplyDeleteIf anyone can upload something on Maharaj Brahmanand ji. I will really appreciate it, as I am new to org.
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