अनंता-अनन्त अखिल ब्रह्मंड नायक ज्योत बन्दीछोड़ गरीब दास साहिब जी ने श्री छुड़ानी धाम जिला झज्जर तहसील बहादुरगढ़ हरियाणा में सन १७१७ में अवतार लिया | बन्दीछोड़ गरीब दास साहिब जी ने जिव-कल्याण के लिए पावन-पवित्र कल्याणकारी अमृतमई वाणी “श्री ग्रन्थ साहिब” की रचना की |
जिसका २४ घंटे निर्विघन श्री छतरी साहिब छुड़ानी धाम में पाठ होता हैं और साथ ही सभी गरीबदासीय आश्रमों व् मंदिरों में समय-समय पर पाठ होता रहता हैं | जिसका लाभ उठा कर हजारों-लाखों भक्त इस भवसागर से पार उतर रहे हैं | जंहा तक बन्दीछोड़ गरीब दास साहिब जी की वाणी की आवाज जाती हैं उस स्थान के वातावरण के कण-कण में शुद्धी आ जाती हैं |
सुन खाक के पुतले बात भईया, पलक मारते खाक होय जाहिगा रे |
भूले हुए मनुष्य को बोध कराने के लिए सरल भाषा में अनुभव वाणी की रचना की और सदुपदेश देकर अनेकों अज्ञानी जीवों को सदमार्ग पर लगाया | असंख्य भटके हुए जीवो का कल्याण कर सन १७७८ में निर्वाण गति को प्राप्त हुए और अपने निज लोक को चले गये |
भूले हुए मनुष्य को बोध कराने के लिए सरल भाषा में अनुभव वाणी की रचना की और सदुपदेश देकर अनेकों अज्ञानी जीवों को सदमार्ग पर लगाया | असंख्य भटके हुए जीवो का कल्याण कर सन १७७८ में निर्वाण गति को प्राप्त हुए और अपने निज लोक को चले गये |
पाठ के समय इस्तमाल होने वाली सामग्री :
1. ५ किलोग्राम देसी घी 14. १०० ग्राम जों
2. १ नया मटका 15. ५ नग सुपारी
3. ५ प्रकार के फल (किलोग्राम के हिसाब से) 16. ५ नग गोले
4. १ रूमाला (दरबार साहिब के लिए) 17. १ कच्चा नारियल
5. सवा ३ मिटर सफेद मलमल 18. १ पैकेट कपूर
6. सवा किलो मिश्री 19. १ शीशी केवड़ा
7. २५०ग्राम अखरोट 20. १ पैकेट माचिस
8. २५० ग्राम किशमिश 21. मोली
9. २५० ग्राम बादाम 22. १५ पैकेट धूप
10. २५० ग्राम छुहारे 23. ५ पैकेट अगरबती
11. २५० ग्राम काजु 24. ३ दर्जन पिन
11. २५० ग्राम काजु 24. ३ दर्जन पिन
12. २५ ग्राम इलायची 25. ५० ग्राम रुई
13. १० ग्राम लोंग 26. 1 कैंची
27. सजावट का सामान (बेदी व दरबार साहिब के लिए)
अखंड पाठ की रूप-रेखा
1. जौं उगाना: पाठ प्रकाश से २-४ दिन पहले या फिर पाठ प्रकाश वाले दिन ही एक साफ परात में साफ-सुथरी रेती या मिट्टी डालकर उसमे जौं उगा देने चहिये | परात में रेती या मिट्टी इसलिए डाली जाती है ताकि कलश को स्थिर रखा जा सके | पाठ की पूर्ण आहुति के बाद जों और मिट्टी को बहते पानी में प्रवाह कर देना चहिये |
2. दरबार साहिब लगाना : जिस स्थान पर पाठ होने जा रहा हो उस स्थान को सुबह उठ कर स्नान करने के बाद ताजी पानी से साफ करना चहिये और गंगा-जल से उस स्थान की शुद्धी करनी चहिये |अब सबसे पहले चांदनी लगाई जाती है और फिर बाद में एक दीवान के ऊपर दरबार साहिब लगाया जाता हैं |
3. कुम्भ तयार करना: पाठ प्रकाश वाले दिन सुबह स्नान करने के बाद कोरा मटका ताजी जल से किसी नलके या कुएँ से भरकर जौं वाली परात में लाकर रख दिया जाता हैं | मटके में कभी हाथ डालकर साफ नहीं करना चहिये | अब कच्चा नारियल सफेद कंद में नालो द्वारा बांध कर सवा रुपये के साथ ढक्कन पर रख कर नारियल कुम्भ पर रख दे | पाठ की पूर्ण आहुति के बाद कुम्भ के जल को अमृत समझे और इसकी एक बूंद भी व्यर्थ न जाने दे | इस जल को भी हाथ धोने या कुल्ला करने में उपयोग न करना चहिये |
4. गणेश तयार करना: एक सुपारी को नाले में लपेटकर साथ-साथ “मंगलाचरण” का उचारण करते हुए ज्योति के पास रखा जाता हैं और साथ में सवा रुपया भी रखा जाता हैं | पाठ की पूर्ण आहुति के बाद सत गणेश व सवा रुपये को पाठ कराने वाले श्रद्धालु को दे दिया जाता हैं | श्रद्धालु को चहिये की वह सत गणेश व सवा रूपये को अपने पैसे रखने वाले स्थान पर रखे |
5. मेवा-मिश्री को साफ करके एक परात में रखकर सफेद मलमल से ढक कर नाले से बांध दे | पाठ की पूर्ण आहुति के बाद नारियल व मेवा को प्रसाद के रूप में पाठियों में बाट दिया जाता हैं और बचे हुए को घर-परिवार में बाट दिया जाता हैं |
6. भोग तयार करना: तीनो दिन भोग का प्रसाद देसी घी में तयार किया जाता हैं |
तीनो दिन सबसे पहले ३ कटोरियों में भोग निकाल कर मंजी साहिब के नीचे रखा जाता हैं |
पाठ प्रकाश वाले दिन “गुरुदेव का अंग” के बाद प्रसाद वितरण होता हैं |
मध्य का भोग “अनदेव की छोटी आरती” के बाद वितरण होता हैं |
तीसरे दिन पाठ की पूर्ण आहुति के बाद प्रसाद वितरण होता हैं |
7. अखण्ड ज्योत तयार करना : साफ रुई लेकर एक रूपये के सिक्के के उपर खड़ी बाती बना कर एक बड़े बर्तन में रखे और तीन दिन तक उसमे समय-समय पर घी डालें | अखण्ड ज्योत के साथ-साथ एक छोटी ज्योत भी तयार करनी होती हैं ताकि वह पाठ प्रकाश की विधि तक ही प्रज्वलित रहे |
8. सम्पट तयार करना : प्रत्येक प्रष्ठ के पूरा होने पर सम्पट बोला जाता हैं ताकि पाठ रुके नहीं | पाठ प्रकाश से पहले ही सम्पट लिख कर दरबार साहिब के पास रख दिया जाता हैं |
गरीब, कामधेनु कल्पव्रक्ष हैं, दरबार हमारे |
अठसिधि नोनिधि आंगने, नित कारज सारे ||
9. अखण्ड धूप तयार करना: अखण्ड ज्योत की ही तरह अखंड धूप भी तयार की जाती हैं |
10. तिलक तयार करना: "विनती के शब्द" के बाद रोली में थोडा जल डाल कर तिलक तयार किया जाता हैं | सबसे पहले तिलक सतगुरु कबीर साहिब व बन्दीछोड़ गरीब दास साहिब जी की फोटो को किया जाता है और साथ ही नाले का एक टुकड़ा जों की हाथ पर पूरा बंद जाये उसको महराज जी की फोटो पर रखा जाता हैं | इसके बाद ग्रन्थ साहिब के अंदर खाली प्रस्ठ पर एक श्वास्तिक का निशान बनाया जाता और यंही ग्रन्थ साहिब के अंदर महाराज जी के फोटो पर तिलक भी किया जाता है और साथ ही इसी प्रस्ठ पर पूजा के तोर पर सवा रुपया या श्रध्दा समान कितने भी रूपये रखे जाते हैं |"गुरुदेव का अंग" शुरू होने पर संगत को तिलक किया जाता है और दाएं हाथ पर नाला बंधा जाता है|
पाठ प्रकाश की सत्-साहेब :
इसके पश्चात महाराज जी की कल्याणकारी अमृतमई वाणी का पाठ प्रकाश होता हैं |
संध्या आरती की सत्-साहेब : शाम को ७ या ८ बजे संध्या आरती होती है |
-:मध्य के भोग की सत्-साहेब:-
दुसरे दिन सुबह १०-११ बजे महाराज जी की वाणी का मध्य का भोग लगता हैं | यह १०-११ बजे का समय आगे-पीछे भी हो सकता हैं | मध्य का भोग तब लगता हैं जब “श्री ग्रन्थ साहिब” में “अन्न देव की बड़ी आरती और अन्न देव की छोटी आरती” आ जाये |
तीनो दिन सबसे पहले ३ कटोरियों में भोग निकाल कर मंजी साहिब के नीचे रखा जाता हैं |
पाठ प्रकाश वाले दिन “गुरुदेव का अंग” के बाद प्रसाद वितरण होता हैं |
मध्य का भोग “अनदेव की छोटी आरती” के बाद वितरण होता हैं |
तीसरे दिन पाठ की पूर्ण आहुति के बाद प्रसाद वितरण होता हैं |
-: संध्या आरती की सत्-साहेब:-
दुसरे दिन भी शाम को ७ या ८ बजे संध्या आरती होती हैं|
-:पूर्ण भोग की तयारी:-
पूर्ण आहुति के लिए ज्योत तयार करना : पूर्ण भोग के दिन ज्योत के लिए ५ या ७ या ११बातियाँ बनानी होती है | इसके लिए हम एक थल में आटे से निर्मित दिये भी इस्तमाल करते हैं | आटे को गुंद कर उसमे दिये के ५ या ७ या ११ आकार बना दिये जाते हैं | आरती शुरू होने से पहले ज्योती प्रज्वलित कर दी जाती हैं और जब तक आरती होती हैं तब तक ज्योत से महाराज जी की आरती उतारी जाती हैं | ज्योत हमेशा घड़ी की सुईयों की दिशा में घुमाई जाती हैं | अखण्ड पाठ पूरा होने के पश्चात इस आटे को बहते पानी में प्रवाह कर देना चहिये |
केवड़ा तयार करना: केवड़े की छोटी शीशी में थोडा ताजी पानी डाल कर केवड़ा तयार किया जाता हैं | शीशी के ४-५ छेद कर दिये जाते हैं | और आरती के पश्चात महाराज जी के दरबार साहिब में चढ़ाने के लिए फूल चहिये |
-:पूर्ण भोग की सत् साहेब:-
सत्पुरुष कबीर साहिब जी की वाणी में “अथ अमल अहारी का अंग” से पूर्ण भोग की विधि शुरू होती हैं |
रूमाला चढ़ाना: महाराज जी की वाणी पूरी होते ही दरबार साहिब पर रूमाला चढ़ाया जाता हैं | और साथ ही यह शब्द गाया जाता हैं | इसके पश्चात आरती शुरू होती हैं |
रूमाला चढ़ाना: महाराज जी की वाणी पूरी होते ही दरबार साहिब पर रूमाला चढ़ाया जाता हैं | और साथ ही यह शब्द गाया जाता हैं | इसके पश्चात आरती शुरू होती हैं |
-:बधाई का मंगल गीत:-
आरती पूर्ण होने के पश्चात बधाई का मंगल गीत “आज मिलन बधाईयां जी, संगते भोग गुरां नु लगियां” गया जाता हैं | इस तरह महाराज जी की वाणी की पूर्ण आहुति होती हैं |
-:सावधानियां:-
गरीब दास जी महराज जी की वाणी का पाठ करते वक्त बहुत सी सावधानियां बर्तनी होती हैं जैसे कि:
1. अखण्ड पाठ करते समय पाठी द्वारा कुछ भी नहीं बोला जाना चहिये यदि कोई बात हैं तो पाठी संकेत करके दुसरे पाठी को बुला सकता हैं |
2. शराब,तम्बाखू,मांस या कोई नशा करने वाले व्यक्ति को पाठ नहीं करना चहिये |
3. पाठ के दोरान शुद्धी का विशेष ध्यान रखा जाना चहिये | पाठी को शोच के बाद स्नान करके स्वचछ वस्त्र पहनकर ही पाठ करना चहिये |
4. पाठी के पास ज्यादा शोर नहीं होना चहिये |
4. पाठी के पास ज्यादा शोर नहीं होना चहिये |
5. एक सेवादार हमेशा दरबार में उपस्थित होना चहिये |
6. पूर्ण आहुति के बाद नारियल व मेवा के प्रसाद को किसी मांस, शराब, तम्बाखू सेवन करने वाले व्यक्ति को न दे |
7. पूर्ण आहुति में प्रयोग फूलों को बहते पानी में प्रवाह कर देना चहिये |
7. पूर्ण आहुति में प्रयोग फूलों को बहते पानी में प्रवाह कर देना चहिये |
"श्री रत्न माला" जिसको बन्दीछोड़ गरीब दास साहिब जी की ही ज्योत स्वामी ब्रह्मसागर जी महाराज भुरीवालों की गुरू-गद्दी के दूसरे गुरू स्वामी लाल दास जी महाराज रकबे वालों के सुयोग्य शिष्य पाठी पंडित प्रेम सिंह जी की याद मे यह डिजीटल प्रकाशन करवाया गया है | नीचे दीये गए लिंक से आप इसे पढ सकते है व download कर सकते है
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