सतगुरु समय समय पर अपना रूप बदल बदल कर इस धरातल पर अपने हँसो को पार लगाने के लिए आते है इसी तरह कबीर और गरीब में कोई फरक नहीं वेह ही सृष्टि के मालिक सतगुरु सच खंड के मालिक सभी रूपों में वास करने वाले है इसी बात को स्वामी रामानंद जी ने कबीर जी से कहा वेही वाक्य जगत गुरु बाबा गरीबदास जी ने अपने वाणी में युह बयां किया है ...
बोलत रामानंदजी, सुन कबीर करतार। गरीबदास सब रूपमैं, तुमहीं बोलन हार।।
तुम साहिब तुम संत हौ, तुम सतगुरु तुम हंस। गरीबदास तुम रूप बिन और न दूजा अंस।
सतपुरुष सतगुरु कबीर साहिब जी के ६४ हजार शिष्य थे जिनमे से अर्जुन- सुर्जन यह एक ऐसे नाम है । जिन का बाबा गरीबदास जी के पूर्व जन्म(कबीर साहिब )में बहुत महत्वता है । यह बड़ी ही विलक्षण बात है की वह दो व्यक्ति जो सतगुरु कबीर साहिब जी के जीवन से लेकर बाबा गरीबदास के जीवन तक उपस्थित थे जबकि इन दोनों के जीवन काल में २६० वर्ष का अंतर है।
Monday, July 19, 2010
Sunday, July 11, 2010
आचार्य श्री गरीब दास जी महाराज का जीवन परिचय
आचार्य श्री गरीब दास जी महाराज का जीवन परिचय
सतगुरु संत और अवतार तीन कला एके दरबार
जगतगुरु आचार्य श्री गरीबदास महाराज जी का अवतार इस कलयुग में भटक चुके लोगों को परमेश्वर प्राप्ति का सही मार्ग दिखाने के लिये छुडानी में हुआ आप कबीर पंथ के महान संत, महान योगी, महान कवी हुए आप जी की इस जगत को सब से बड़ी देन आप जी की पवित्र वाणी है जो की “श्री ग्रन्थ साहिब” के नाम से प्रचलित है इसमे आप जी ने लगभग १८०० दोहों की रचना की है इतनी बड़ी मात्र में विभिन्न भाषाओं के शब्दों का प्रयोग करते हुए शायद ही किसी महापुरुष ने वाणी की रचना की हो आप की पवित्र वाणी को पढ- सुनकर, विचारकर ना जाने कितने ही जीवों का उद्धार हो चूका है और आगे भी होता रहेगा जहां एक तरफ आप ने परमेश्वर प्राप्ति के लिये नाम स्मरण, भक्ति और ज्ञान मार्ग का उपदेश दिया वहीं दूसरी तरफ समाज में फैली बुराइयों का जम कर विरोध भी किया आप हिंदू मुसलिम सब को एक सामान, उस एक परमात्मा की संतान मानते थे
आप हमेशा तुरिया अवस्था में लीन रहते थे और आप जी के श्री मुख से सहज ही वाणी प्रकट होती रहती थी
आप जी से ही गरीब दासी पंथ की शुरुवात हुई जो आज भारत के अनेक राज्यों में पसर चूका है
सतगुरु संत और अवतार तीन कला एके दरबार
जगतगुरु आचार्य श्री गरीबदास महाराज जी का अवतार इस कलयुग में भटक चुके लोगों को परमेश्वर प्राप्ति का सही मार्ग दिखाने के लिये छुडानी में हुआ आप कबीर पंथ के महान संत, महान योगी, महान कवी हुए आप जी की इस जगत को सब से बड़ी देन आप जी की पवित्र वाणी है जो की “श्री ग्रन्थ साहिब” के नाम से प्रचलित है इसमे आप जी ने लगभग १८०० दोहों की रचना की है इतनी बड़ी मात्र में विभिन्न भाषाओं के शब्दों का प्रयोग करते हुए शायद ही किसी महापुरुष ने वाणी की रचना की हो आप की पवित्र वाणी को पढ- सुनकर, विचारकर ना जाने कितने ही जीवों का उद्धार हो चूका है और आगे भी होता रहेगा जहां एक तरफ आप ने परमेश्वर प्राप्ति के लिये नाम स्मरण, भक्ति और ज्ञान मार्ग का उपदेश दिया वहीं दूसरी तरफ समाज में फैली बुराइयों का जम कर विरोध भी किया आप हिंदू मुसलिम सब को एक सामान, उस एक परमात्मा की संतान मानते थे
आप हमेशा तुरिया अवस्था में लीन रहते थे और आप जी के श्री मुख से सहज ही वाणी प्रकट होती रहती थी
आप जी से ही गरीब दासी पंथ की शुरुवात हुई जो आज भारत के अनेक राज्यों में पसर चूका है
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