सतगुरु श्री गरीबदास महाराज
जी का परलोक गमन
छुड़ानी धाम में अवतार ले कर
अनेक प्रकार की लीलाएं करते हुए, वाणी की रचना और प्रचार करते हुए, अनेका अनेक
लोगों का उद्धार करते हुए जब सतगुरु गरीबदास जी की आयु ६१ वर्ष और तिन मास की हुई
तो आप जी ने परमधाम पधारने का संकल्प किया | अपने सभी प्रेमी भक्त, संत और सेवकों
को आज्ञा पत्र लिखकर भेजे की अगर कोई अंतिम दर्शन करना चाहता है तो वह फाल्गुन
सुदी एकादशी को छुड़ानी में पहुंच जाए, क्यूंकि हमने उसदिन परमधाम पधारने का निश्चय
किया है | जिसे भी पत्र मिला वह संदेश पाकर स्तब्ध रह गया | चित्त उदास हो गया, मन
शोक से ग्रसित दो गया | जिसे जिसे भी संदेश मिला वह सभी कार्य छोड़कर महाराज श्री
के दर्शन के लिए पहुंच गया | उस एकादशी के दिन बहुत अधिक मात्रा में लोग एकत्रित
होने लगे | जिनमें साधू, संत, महापुरुष, भक्त और सत्संगी जन सभी शामिल थे | उस समय ५०० से अधिक तो महाराज जी के वैरागी साधू
थे |