बिना
धनि की बंदगी, सुख नही तीनों लोक |
चरण कमल के ध्यान से, गरीब दास संतोष ||
श्री सतगुरु ब्रह्म सागर
जी भूरी वालो की श्री छुड़ानी धाम के प्रति अपार श्रद्धा
थी | वह ज्यादा से ज्यादा समय श्री छुड़ानी धाम
में रहकर श्री छतरी साहिब की सेवा में लगाया करते थे| और
हमेशा अपने शिष्यों को कहते थे कि “जो कोई हमारी सेवा करना चाहता है , हमारी खुशी प्राप्त करना चाहता है ,वह श्री छतरी साहिब छुड़ानी धाम की सेवा करे”| श्री महंत गंगा सागर जी
बचपन में ही श्री छुड़ानी धाम की गद्दी पर आसीन हुए| बचपन में श्री महंत गंगा
सागर जी अपनी आयु के समान बच्चो के साथ खेलते थे| महाराज भुरीवालो का यह
नियम था कि जितनी बार भी श्री महंत जी खेलते-खेलते हुए