तेरी
क्या बुनियाद है, जीव जन्म धर लेत ।
गरीबदास
हरी नाम बिन, खाली परसी खेत ।।
एक बार एक महापुरुष जो की गरीब दास जी महाराज जी के शिष्य थे घूमते-२ बासियर
ग्राम में आ पहुंचे। यह ग्राम पंजाब में
सुनाम शहर के पास है। वहाँ जाकर वह साधु एक
तालाब के पास बैठ गए। संध्या का समय था, रात गुजरी सुबह हुई। उस महापुरुष ने स्नान आदि
किया और बह्रम महूर्त में बह्रम वेदी का पाठ करने लगा। और बाद में कुछ शब्द “राग बिलावल” व “राग आसावरी” से भी गाये। इसी समय उस ग्राम का प्रधान तलाब पर स्नान करने आया हुआ था। महाराज की वाणी सुनकर प्रधान का मन भी उस महापुरुष की तरफ खींचा चला गया। प्रधान ने बैठ कर पाठ सुना और जब महापुरुष ने पाठ पूरा
किया तो प्रधान ने पूछा कि “स्वामी जी आपने यह अमृतमई वाणी कंहाँ से प्राप्त की ?
क्या यह आपके आपने अनुभव कि है”।