गरीब लख छलिछद्र मैं करूं अपने भक्तों काज |
हिरणाकशय से मार हूं नर सिंह धार हू साज ||
सतगुरु भुरीवालों का एक परम सेवक तथा भक्त श्री नराता राम जो की ग्राम चौंदा का रहने वाला था और लुधियाना रेलवे विभाग में टिकट कोल्लेक्टर के पद पर काम करता था |वेह सतगुरु भुरीवालों द्वारा बताए नित्य नियमों का पालन करता था तथा साथ साथ अपनी ड्यूटी भी किया करता था |
एक दिन की बात है लुधियाना स्टेशन से वायसराये की ट्रेन जानी थी |रलवे विभाग ने अपने सभी कर्मचारियों को अपनी अपनी ड्यूटी पर तैनात कर रखा था |नराता राम को भी आदेश था की कल वायसराये की ट्रेन पास करेगा तथा ठीक समय पर ड्यूटी पर आने का आदेश था |भक्त नरात राम साधू स्वभाव का आदमी था तथा सदा ही अपना ध्यान सत्गुरों की भक्ति में रखता था | वह प्रति दिन की तरह ही स्नानादि से निवृत हो कर भजन पर बैठ गया |आज उसने छ:बजे ही ड्यूटी पर जाना था |भक्त की भक्ति और प्रभु की लीला देखो , भक्त नराता राम भजन में बैठे इतना लीन हो गया कि समय का कुछ ख्याल ही नहीं रहा | इसी तरह सुबह के आठ बजे जब उसकी समाधि खुली | उसने घडी की तरफ देखा और घबरा गया की आज उसकी ड्यूटी खतरे मैं है | वह भाग कर स्टेशन पर पहुंचा तथा सोच रहा था की ये क्या हो गया ? सत्गुरों की क्या मौज है क्या मुझे नौकरी से हटाना चाहते है | यदि मैं नौकरी से निकाल दिया गया तो मेरे बाल बच्चे भूखे मर जायेंगे | अगर उनकी एसी ही मर्जी है तो मैं कर भी क्या सकता हूँ | नराता राम की यह सब सोच कर घबराहट बडती ही जा रही थी तथा अपने ऑफिस में पहुँच कर दूसरे लोगो से पूछने लगा कि मेरे लेट होने की वजह से मेरे सम्ब्बंध में क्या कार्यवाही हुई है | रजिस्टर को उठा कर देखो| उसमें उसके हस्ताक्षर हो चुके थे | दूसरे कर्मचारियों ने कहा कि नराता राम तुझे थोड़ी देर में क्या हो गया है |आप तो ड्यूटी पर हाजिर थे |सभी काम कुशलता पूर्वक पुरे किये हैं|कैसी कार्यवाही की बात आप कह रहे हैं ? क्या हो गया है आप को ?
नराता राम इन सब बातों को समझ गया कि ये सब उस कृष्ण अवतार ,भक्त वत्सल श्री सतगुरु भुरीवालों की लीला है | ड्यूटी से निवृत हो कर शाम के समय कुटिया पहुंचा तथा दंडवत प्रणाम कर ही रहा था की महाराज श्री मंद मंद मुस्कराते हुए बोले कि "बच्चू तू तो भजन करता रह तेरी जगह टिकट हम बेचा करेंगे ?" यह कह सतगुरु देव हसने लगे और कहने लगे आज हमने देख लिया था कि हमारा भक्त गैरहाजिर पकड़ा जायेगा | इसलिए हमें स्वय जा कर तेरी ड्यूटी बजानी पड़ी | नराता राम हाथ जोड़ कर महाराज श्री से कहने लगा ! महाराज जी ! आप ने आज मेरे लिए बहुत कष्ट किया मेरे अपराधों को माफ करना |आप सर्व कला सम्पूर्ण तथा समर्थवान हो आप भक्तो के लिए सब कुछ करने को तत्पर रहते हो |हम तो आप के लिए कुछ भी नहीं कर सकते | आप को बार -बार प्रणाम है |
धन्न है बंदी छोड़ महाराज ,जो तेरे देर पर आया,किसी वक़्त वो हारा ना
ReplyDeleteMaharaj ji ne Vanni me sach hi kaha hai. ki
ReplyDeleteGarib Jo Jan hamri sharan hain, Jaka hun main das.
Gail gail lagya firoon, jab lag dharni akash.
Dhany hai aise mahanpurush jin ki bhagti vishvas ko dekhkar bhagwan nana prakar se unki raksha karte hai.
Bhandishod bhagvan ki jai.
Lek likhne ke liye dhanyavad. lagta hai ki blog ka to kisi ko smaran hi nahin raha tha.
तेरी लीला का ना पाया कोई भेद , लीला तेरी तू ही जाने .....
ReplyDeleteBandi chod Dayal Ji
ReplyDeleteTum Lag Hamri Dod
Jaise Kag Jahaj Ka
Sujhat Aur na Thor